रैबमैन ने कहा कि उल्कापिंड की लोगों से टकराने की घटनाएं बेहद दुर्लभ हैं। इसके बावजूद हर दिन अनुमानित 50 टन उल्कापिंड सामग्री पृथ्वी पर गिरती हैं, जिनमें से अधिकांश महासागरों में गिरती हैं।
उल्कापिंड क्या होते हैं?
आपको बता दें कि उल्कापिंड अंतरिक्ष चट्टाने हैं, जो पृथ्वी के वायुमंडल के माध्यम से जमीन तक पहुंचते हैं। ज्यादातर उल्कापिंड अपनी यात्रा के दौरान टुकड़ों में बंट जाते हैं और उनके छोटे टुकड़े ही पृथ्वी पर आ गिरते हैं। जमीन पर इन उल्कापिंडों को पहचानना काफी मुश्किल हो सकता है लेकिन रेगिस्तान जैसी जगहों में ये बड़ी ही आसानी से पहचाने जा सकते हैं। इतिहास में भी उल्कापिंड से प्रभावित होने वाले लोगों के दावे मिलते रहे हैं। हालांकि, पुख्ता सबूतों की हमेशा ही कमी रही है। उल्कापिंड का सीधे किसी इंसान से टकराने का पहला मामला साल 1954 में सामने आया था, जब सिलाकौगा अलबामा की एन होजेस 8 पाउंट के पत्थर जैसे दिखने वाले उल्कापिंड की चपेट में आ गई थीं, जो उनकी छत से टकराया था। इसके बाद उन्हें गंभीर चोटें आई थीं।