राजीव गांधी के बने भरोसेमंद
उत्तर प्रदेश की रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट गांधी परिवार के लिए शुरू से ही काफी अहम रही है। यहीं से इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने भी अपनी राजनीतिक पारी खेली। लिहाजा राजीव गांधी की ताजपोशी के आस-पास ही केएल शर्मा उनसे जुड़ गए और धीरे-धीरे उनके भरोसेमंद भी बन गए। 1983 में इंदिरा गांधी के निधन के बाद जब राजीव गांधी रायबरेली और अमेठी का दौरा करने पहुंचे तो उनके साथ एक शख्स कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा था और वह था केएल शर्मा।
राजीव के निधन के बाद भी गांधी परिवार के साथ रहे
केएल शर्मा की गांधी परिवार के प्रति वफादारी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1991 में राजीव गांधी के अचानक हुए निधन के बाद भी उन्होंने कांग्रेस और गांधी परिवार से मुंह नहीं मोड़ा और इसके बाद वह सोनिया गांधी की आंख और कान बन गए।
रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस के बेहद खास व्यक्ति
खास बात यह है कि गांधी फैमिली के साथ-साथ केएल शर्मा का अमेठी और रायबरेली से गहरा नाता बन गया, क्योंकि यहां पर उनका आना-जाना चलता रहा। सोनिया गांधी ने अपना पहला चुनाव भी अमेठी से ही लड़ा और इस दौरान केएल शर्मा ने ग्राउंड लेवल पर उनके चुनाव की तैयारियां कीं। इन दोनों ही लोकसभा सीटों पर कांग्रेस के पॉइंट पर्सन के नाम से भी जाने जाते हैं। पॉइंट पर्सन से मतलब है पार्टी के सबसे अहम शख्स।
हालांकि बाद में सोनिया गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ी तो के एल शर्मा की भूमिका दोहरी हो गई. उन्होंने अमेठी के साथ-साथ रायबरेली सीट की जिम्मेदारी भी संभाली. गांधी परिवार की जीत के पीछे जमीनी स्तर पर के एल शर्मा ने जीतोड़ मेहनत की है.
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के एल शर्मा अब 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी टक्कर बीजेपी की कद्दावर नेता स्मृति ईरानी से है। स्मृति ने 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से राहुल गांधी को हराया था। ऐसे में इस बार के एल शर्मा के लिए चुनौती काफी बड़ी है। कांग्रेस के खोए गढ़ को दोबारा हासिल करने की बड़ी जिम्मेदारी अब पार्टी के सबसे भरोसेमंद शख्स पर के कंधों पर है।