हम भारत-पाक के बीच सीधी बातचीत को प्रोत्साहित करना चाहते हैं : अमेरिका

दोनों देशों ने शांति का मार्ग चुनकर समझदारी और धैर्य दिखाया
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न्यूयॉर्क/वाशिंगटन : अमेरिका के विदेश विभाग ने कहा है कि उनका देश भारत और पाकिस्तान के बीच ‘सीधी’ वार्ता को प्रोत्साहित करना और देखना चाहता है। यह बात राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस टिप्पणी से उलट है जिसमें उन्होंने कहा था कि वह कश्मीर मुद्दे के ‘समाधान’ के लिए दोनों देशों के साथ मिलकर काम करेंगे। विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता टॉमी पिगोट ने गुरुवार को प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘देखिए, हम संघर्षविराम देखकर खुश हैं। यही बात हम पिछले कुछ दिनों से कह रहे हैं, और हम दोनों पक्षों के बीच सीधी बातचीत को प्रोत्साहित करना चाहते हैं। हमारा रुख इस पर स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि एक कदम पीछे हटकर, राष्ट्रपति शांति स्थापना के वाहक हैं, और हम शांति की दिशा में प्रगति का जश्न मनाते हैं, तथा हम आशा करते हैं कि संघर्षविराम कायम रहेगा। और राष्ट्रपति ने दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की प्रशंसा के मामले में भी स्पष्ट रूप से कहा है कि उन्होंने शांति का मार्ग चुनकर जो समझदारी और धैर्य दिखाया है, वह उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। चार दिन तक सीमा पार से ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान 10 मई को संघर्ष समाप्त करने पर सहमत हुए।

ट्रंप ने बार-बार किया एक ही दावा

ट्रंप ने बार-बार दावा किया है कि अमेरिका ने नयी दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच “संघर्षविराम” की मध्यस्थता की। भारत सरकार के सूत्र कहते रहे हैं कि भारत और पाक के (डीजीएमओ) के बीच जमीन, हवा और समुद्र में सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयों को तत्काल प्रभाव से रोकने पर सहमति बनी है। उनका कहना है कि इसमें कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं था।पिगोट ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि खैर, फिर से, हम संघर्षविराम देखकर खुश हैं, और हमारा ध्यान इसी पर है, सीधी बातचीत पर, जिसे हम देखना चाहते हैं। और फिर से, राष्ट्रपति ने स्पष्ट रूप से कहा है, उन्होंने शांति का मार्ग चुनने के लिए दोनों प्रधानमंत्रियों की प्रशंसा की है।

ट्रंप ने 10 मई को कहा था कि वह कश्मीर मुद्दे के ‘समाधान’ के लिए भारत और पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात पर ‘‘गर्व’’ है कि वाशिंगटन संघर्षविराम के ‘‘ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय’’ पर पहुंचने में दोनों देशों की ‘मदद’ करने में सक्षम रहा। भारत हमेशा कहता रहा है कि कश्मीर मुद्दा द्विपक्षीय मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष के लिए कोई जगह नहीं है तथा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर तथा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख हमेशा इसके अभिन्न और अविभाज्य अंग रहेंगे।

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