

नई दिल्ली: मध्यप्रदेश के रहने वाले दो इंजीनियर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा के परिवार शनिवार की रात कभी नहीं भूल पाएंगे। ये दिन अनीश और अश्विनी के लिए इस दुनिया की अंतिम रात साबित हुई। ये सब कुछ हुआ एक नाबालिक लड़के की लापरवाही की वजह से।
दरअसल, पुणे में शनिवार की रात एक तेज रफ्तार पोर्शे कार, जिसकी कीमत लगभग एक करोड़ रुपये होती है, ने दो लोगों को कुचल दिया। घटना के बाद पता चला कि गाड़ी चलाने वाला आरोपी नाबालिग है. सबसे बड़ी बात कि कोर्ट से इस नाबालिग को 15 घंटे के भीतर जमानत मिल गई। चलिए आज इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि आखिर एक्सीडेंट वाले मामलों में ऐसी कौन सी धाराएं लगती हैं कि आरोपी को इतनी जल्दी जमानत मिल जाती है।
किन धाराओं के तहत दर्ज होता है केस
इस मामले में हमने इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर वकील रवि सिन्हा से बात की। उन्होंने बताया कि फिलहाल देश में सड़क हादसों के मामलों में मुख्य रूप से दो धाराओं में केस दर्ज होता है। इनमें से एक धारा 304 है और दूसरी धारा 304ए है। हालांकि, इन दोनों धाराओं में सजा अलग-अलग है।
जैसे अगर कोई व्यक्ति सड़क पर गाड़ी चला रहा है और अचानक गाड़ी उसके कंट्रोल से बाहर हो जाए या गाड़ी के सामने कोई दूसरी गाड़ी आ जाए और एक्सीडेंट हो जाए, जिसमें किसी की मौत हो जाए तो ऐसे मामलों में धारा 304ए के तहत केस दर्ज होता है। इस धारा में अधिकतम सजा केवल दो साल की होती है। इसके अलावा थाने से खड़े-खड़े जमानत भी मिल जाती है।
धारा 304 में अलग सजा है
जबकि, अगर कोई व्यक्ति खतरनाक तरीके से तेज गाड़ी चला रहा है या फिर शराब के नशे में गाड़ी चला रहा है और उस दौरान उससे कोई सड़क हादसा हो जाए, जिसमें किसी व्यक्ति की मौत हो जाए तो इस तरह के मामले में धारा 304 के तहत केस दर्ज किया जाता है। इस धारा के तहत आरोपी को अधिकतम सजा 10 साल की होती है। वहीं, उसे थाने से जमानत नहीं मिलती. बल्कि उसे जमानत के लिए कोर्ट में जाना होता है।
पुणे वाले मामले में कौन सी धारा लगी
एक रिपोर्ट के मुताबिक, घटना के बाद पुणे सिटी पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि नाबालिग लड़के के खिलाफ धारा 304 के तहत केस दर्ज किया गया है। वहीं आरोपी के पिता और जिस बार ने नाबालिग लड़के को शराब परोसा उन दोनों के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस एक्ट यानी धारा 75 और 77 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
निबंध लिखने समेत इन शर्तों पर दी गई जमानत
रिपोर्ट के अनुसार, वारदात के 15 घंटे के बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से जमानत दे दी गई। कोर्ट ने जमानत देते वक्त जो शर्तें रखीं उनमें एक शर्त ये थी कि आरोपी दुर्घटनाओं पर एक निबंध लिखे। इसके अलावा आरोपी से कहा गया कि वह शराब पीने की आदत का इलाज कराए और काउंसलिंग ले।