नहीं रहे विश्व के महान तबला वादक जाकिर हुसैन
नयी दिल्ली/मुंबई : अपनी पीढ़ी के सबसे महान तबला वादकों में से एक जाकिर हुसैन (73) का अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में एक अस्पताल में निधन हो गया। हुसैन की मृत्यु फेफड़े संबंधी समस्या 'इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस' से उत्पन्न जटिलताओं के कारण हुई। वे पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे। हुसैन की बहन खुर्शीद औलिया ने कहा कि वेंटिलेशन मशीन बंद किए जाने के बाद उन्होंने सुकून के साथ अंतिम सांस ली। सैन फ्रांसिस्को के समय के अनुसार, तब शाम के चार बजे (भारतीय समयानुसार सुबह साढ़े पांच बजे) थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी एंटोनिया मिनेकोला और उनकी बेटियां अनीशा कुरैशी और इजाबेला कुरैशी हैं। वे प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के पुत्र थे। हुसैन ने सात वर्ष की आयु से ही तबले पर हाथ आजमाना शुरू कर दिया था और आगे चलकर उन्होंने पंडित रविशंकर, अली अकबर खान और शिवकुमार शर्मा जैसे दिग्गजों सहित भारत के लगभग सभी प्रतिष्ठित संगीत कलाकारों के साथ काम किया। छह दशकों के अपने करियर में हुसैन ने कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कलाकारों के साथ काम किया। गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन, वायलिन वादक एल शंकर और तालवादक टीएच 'विक्कू' विनायक्रम के साथ 1973 में भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी जैज संगीत के तत्वों के उनके संलयन को काफी सराहा गया। प्रतिष्ठित पश्चिमी संगीतकारों के साथ उनके अभूतपूर्व संगीत ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचाया। उन्होंने पांच ग्रैमी पुरस्कार जीते, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में मिले थे। हुसैन को में 'पद्म श्री', 'पद्म भूषण' और 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया। हुसैन ने मर्चेंट आइवरी प्रोडक्शन की फिल्म 'हीट एंड डस्ट', 'द परफेक्ट मर्डर' और 'साज' जैसी फिल्मों में अभिनय भी किया। 'साज' में उन्होंने प्रसिद्ध अभिनेत्री शबाना आजमी के साथ काम किया।
सैन फ्रांसिस्को में ही किये जायेंगे सुपुर्द-ए खाक!
अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में ही हुसैन को सुपुर्द-ए खाक किया जाएगा। उन्हें भारत नहीं लाया जायेगा। संभवत: बुधवार 18 को उन्हें दफन किया जाएगा। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक उन्होंने अपनी इटैलियन पत्नी एंटोनिआ मिन्नेकोला से एक बार कहा था कि वे हमेशा उन्हीं के साथ रहना चाहते हैं और मरने के बाद भी वे उनके आसपास ही रहना चाहेंगे। उन्होंने अमेरिका में ही सुपर्दे-ए-खाक किये जाने की इच्छा जतायी थी।
विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों ने जताया शोक : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समेत विभिन्न क्षेत्रों की तमाम हस्तियों ने प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर शोक प्रकट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया, जिन्होंने भारतीय संगीत को वैश्विक मंच पर लोकप्रिय बनाया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्हें एक ऐसे सच्चे उस्ताद के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में क्रांति ला दी। उन्होंने वैश्विक संगीत के साथ भारतीय शास्त्रीय परंपराओं को मूल रूप से मिश्रित किया, जो एक प्रकार से सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन गया। माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सत्य नडेला ने सोशल मीडिया मंच 'लिंक्डन' पर कहा 'आपका संगीत सीमाओं से परे है और हमेशा जिंदा रहेगा।' अरबपति गौतम अदाणी ने 'एक्स' पर लिखा,'दुनिया ने एक ऐसी लय खो दी है जिसकी कोई जगह नहीं ले सकता।' क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने कहा कि अगर उनके हाथ लय देते थे, तो उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा और विनम्र व्यक्तित्व मधुर संगीत को बयां करते थे। गिटार वादक जॉन मैकलॉघलिन, बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया, सरोद वादक अमजद अली खान, संगीतकार एआर रहमान, सारंगी वादक कमाल साबरी, फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा, पटकथा लेखक एवं गीतकार जावेद अख्तर, शास्त्रीय गायक वसीफुद्दीन डागर, अभिनेता अक्षय कुमार, कमल हसन, सनी देओल, अभिनेत्री करीना कपूर खान, भाजपा सांसद एवं अभिनेत्री कंगना रनौत, संगीतकार विशाल ददलानी, पार्श्व गायिका श्रेया घोषाल, फिल्मकार हंसल मेहता, अमेरिका में रहने वाली गायिका अनुराधा पलाकुर्थी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी व उनके योगदान को याद किया।

