न्याय प्रणाली तभी सशक्त होगी जब वह समावेशी हो : राष्ट्रपति मुर्मू

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी थे मौजूद
न्याय प्रणाली तभी सशक्त होगी जब वह समावेशी हो : राष्ट्रपति मुर्मू
Published on

गांधीनगर : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि अपराधियों में पकड़े जाने और सजा मिलने का डर तथा आम लोगों में न्याय मिलने का भरोसा सुशासन की पहचान है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी न्यायिक प्रणाली को तभी सशक्त माना जाएगा जब वह वास्तव में समावेशी हो। उन्होंने कहा कि 2024 में तीन नये आपराधिक कानूनों का लागू होना भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण था। मुर्मू ने यहां राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) के तीसरे दीक्षांत समारोह में कहा, ‘अपराध पर नियंत्रण, अपराधियों में पकड़े जाने और सजा मिलने का डर तथा आम लोगों में न्याय मिलने का भरोसा, यही सुशासन की पहचान है। हमारे देश में न्याय पर आधारित सामाजिक व्यवस्था को सर्वोत्तम माना जाता है।’ इस मौके पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद थे। राष्ट्रपति ने एनएफएसयू से स्नातक करने वाले विद्यार्थियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि कोई भी व्यक्ति वित्तीय कारणों से न्याय से वंचित न रहे। मुर्मू ने कहा, ‘परंपरा और विकास के जरिये हम एक विकसित देश के निर्माण की ओर अग्रसर हैं जो न्याय पर आधारित होगा। कोई भी न्याय प्रणाली तभी सशक्त मानी जाएगी जब वह समावेशी हो। समाज के सभी वर्गों, खासकर कमजोर और वंचितों को न्याय उपलब्ध कराना विश्वविद्यालय से निकलने वाले छात्रों का लक्ष्य होना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘आपको इस तरह काम करना चाहिए कि देश के अंतिम व्यक्ति तक न्याय तक पहुंच सके और यह सुनिश्चित किया जाए कि वित्तीय कारणों से कोई भी न्याय से वंचित न रहे।’ एजेंसियां

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in