थाईलैंड और कंबोडिया में संघर्षविराम, नए संघर्षविराम समझौते पर हस्ताक्षर

20 दिन तक चला युद्ध, 101 लोग मारे गए,  दोनों पक्षों के 5 लाख से अधिक लोग हुए विस्थापित
थाईलैंड और कंबोडिया संघर्ष
थाईलैंड में जनरल बॉर्डर कमेटी की बैठक के दौरान कंबोडिया के रक्षा मंत्री टी सेहा (बाएं) थाई रक्षा मंत्री नट्टाफोन नारकफानित (दाएं)।
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बैंकॉक : थाईलैंड और कंबोडिया ने शनिवार को घोषणा की कि उन्होंने सीमा पर जारी झड़पों को समाप्त करने के लिए संघर्षविराम को लागू करने के नए समझौते पर हस्ताक्षर किए जो स्थानीय समयानुसार दोपहर 12 बजे से प्रभावी हो गया। संघर्षविराम समझौते में झड़प समाप्त करने के अलावा यह भी कहा गया है कि दोनों पक्ष भविष्य में कोई सैन्य गतिविधि नहीं करेंगे और किसी भी पक्ष की हवाई सीमा का सैन्य उद्देश्य के लिए उल्लंघन नहीं करेंगे। 20 दिनों के संघर्ष को समाप्त कर दिया। इस युद्ध में अब तक 101 लोग मारे गए और दोनों पक्षों के पांच लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।

18 कंबोडियाई सैनिकों को छोड़ने का करार : समझौते का एक और महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि थाईलैंड जुलाई में हुई झड़प के उपरांत बंदी बनाए गए 18 कंबोडियाई सैनिकों को 72 घंटे तक संघर्षविराम पूरी तरह प्रभावी रहने के बाद वापस कंबोडिया भेजेगा। उनकी रिहाई कंबोडियाई पक्ष की एक बड़ी मांग रही है।

संघर्ष विराम से पहले हवाई हमला : इधर, संघर्ष विराम की घोषणा से पहले कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि शनिवार सुबह थाईलैंड के ने देश के उत्तर-पश्चिमी इलाके में एक स्थान पर हवाई हमला किया। उसने F-16 लड़ाकू विमान तैनात किए और उत्तर-पश्चिमी बंतेय मेन्चे प्रांत के सेरेई साओफान इलाके में एक ठिकाने पर चार बम गिराए।

दोनों देशों में विवाद की असली वजह : यह विवाद औपनिवेशिक दौर की सीमा रेखाओं और सीमा क्षेत्र में मौजूद प्राचीन मंदिरों की स्थिति से जुड़ा हुआ है। दशकों से चला आ रहा यह क्षेत्रीय विवाद समय-समय पर हिंसक रूप लेता रहा है। फिलहाल सीजफायर से हालात शांत होने की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन स्थायी समाधान अब भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।

पहले भी हो चुका है युद्धविराम : इस समझौते के अनुसार दोनों पक्ष जुलाई में 5 दिनों तक चले संघर्ष को समाप्त करने वाले पूर्व युद्धविराम और अन्य समझौतों को मानने पर भी प्रति प्रतिबद्ध हैं। जानकारी हो कि बीते जुलाई महीने में हुआ मूल युद्धविराम मलेशिया की मध्यस्थता से हुआ था। यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के कारण लागू हुआ था, जिन्होंने थाईलैंड और कंबोडिया के सहमत न होने पर व्यापारिक विशेषाधिकार रोकने की धमकी दी थी। तब अमेरिकी राष्ट्रनति डोनाल्ड ट्रंप की उपस्थिति में मलेशिया में आयोजित एक क्षेत्रीय बैठक में अक्टूबर में इसे और अधिक विस्तार से औपचारिक रूप दिया गया था।

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