Super Blue Moon : क्या होता है सुपरमून, ब्लूमून और ब्लडमून? | Sanmarg

Super Blue Moon : क्या होता है सुपरमून, ब्लूमून और ब्लडमून?

नई दिल्ली : 30 अगस्त बुधवार को आसमान में पूरा चमकदार चंद्रमा दिखाई देगा। आज चंद्रमा सामान्य पूर्णिमा की तुलना में लगभग 7% बड़ा दिखाई देगा। भारत समेत दुनिया भर के कई देशों में यह दुर्लभ खगोलीय घटना देखने को मिलेगी। इसे ‘सुपरमून’ या सुपर ब्लूमून’ कहा जाता है। अब सवाल यह है कि इस खगोलिय घटना में क्या होता है? आखिर क्यों चांद बाकी पूर्णिमा से बड़ा दिखता है? क्या सच में चांद आज नीला दिखाई देगा और कैसे? कब-कब ये नजारा कितने दिनों बाद दिखता है?
क्या होता है एपोजी, पेरिजी और सुपरमून?

पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा एक अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाता है। इसलिए पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी हर दिन बढ़ती-घटती रहती है। क्योंकि पृथ्वी अपनी धुरी में घूमती है लेकिन चंद्रमा अंडाकार कक्षा में घूमने के दौरान जब पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होता है तो उसे एपोजी कहते हैं। वहीं जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है तो उसे पेरिजी कहते हैं।

वहीं जब चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी के निकटतम बिंदु (पेरिजी) पर पहुंचता है। इसी दौरान तारीख के हिसाब से पूर्णिमा पड़ जाये तो तो इसे ही सुपरमून कहते हैं। साल 1979 में एस्ट्रोलॉजर रिचर्ड नोल ने पहली बार चंद्रमा के इस बढ़े हुए आकार को देखते हुए ‘सुपरमून’ शब्द का इस्तेमाल किया था।
ब्लू सुपरमून क्या होता है?

‘द गार्जियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक 30 अगस्त को चंद्रमा पृथ्वी से 222,043 मील (357,344 किमी) दूर होगा। इसलिए पूर्णिमा का चंद्रमा औसत से बड़ा दिखाई देगा। जिससे इसे सुपरमून का खिताब मिलेगा।

स्पेस डॉट कॉम के मुताबिक चांद की एक साइकिल 29.5 दिन की होती है। दरअसल ‘ब्लूमून’ का रंग से कोई लेना देना नहीं है। साल 1940 के दशक से आमतौर पर एक कैलेंडर माह में पड़ने वाली दो पूर्णिमाओं में से दूसरी को संदर्भित करने के लिर ब्लू मून कहा जाता है। जैसे कि इस अगस्त महीने की पहली तारीख को पूर्णिमा थी और अब 30 अगस्त को दूसरी बार पूर्णिमा पड़ रही है इसलिए इसे ब्लू मून कहा जा रहा है। हालांकि, यह एक सुपरमून है तो इस दिन चांद बड़ा और चमकदार दिखाई देगा, लेकिन नीला नहीं दिखेगा। बता दें कि यह सुपरमून लगभग 222,043 मील दूर होगा।
बता दें कि सुपरमून अपने आप में दुर्लभ इवेंट नहीं हैं। आम तौर पर साल में तीन या चार सुपरमून होते हैं। हालांकि, ब्लू मून बहुत आम नहीं हैं। यह लगभग 33 सुपरमून में से केवल एक ही ब्लू सुपरमून कहलाने के योग्य होता है।

ब्लू मून की अलग-अलग परिभाषाएं क्या हैं?

वर्तमान में वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार एक महीने में आने वाले दूसरे सुपरमून को ‘ब्लू मून’ कहते हैं। वहीं फ्री प्रेस जरनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूर्णिमा हर 29.5 दिन में दिखाई देती है। अब चंद्रमा की साइकिल में लगभग 29.5 दिन लगते हैं, इसलिए एक वर्ष में आमतौर पर 12 पूर्ण चंद्रमाओं के लिए पर्याप्त समय होता है। लेकिन, कभी-कभी किसी एक साल में 13वीं पूर्णिमा होती है, और हम इसे भी ‘ब्लू मून’ कहते हैं।

ब्लड मून क्या होता है?

जिस तरह खगोलिय घटनाओं के कारण सुपरमून, ब्लूमून होते हैं। इसी तरह एक ब्लड मून भी होता है। जब कुछ सेकेंड के लिए चांद पूरी तरह लाल दिखाई देता है इसलिए इसे ‘ब्लड मून’ कहा जाता है।

दरअसल चंद्र ग्रहण के दौरान पृथ्वी की छाया की वजह से धरती से चांद काला दिखाई देता है। वहीं चंद्र ग्रहण के दौरान ही जब सूर्य की रोशनी छितराकर चांद तक पहुंचती है। तब कुछ सेकेंड के लिए चांद पूरी तरह लाल भी दिखाई देता है। परावर्तन के नियम के अनुसार हमें कोई भी वस्तु उस रंग की दिखती है जिससे प्रकाश की किरणें टकरा कर हमारी आंखों तक पहुंचती है। चूंकि, सबसे लंबी तरंग दैर्ध्य (वेवलेंथ) लाल रंग का होती है। वही सूर्य से सबसे पहले चांद तक पहुंचती है, जिससे चंद्रमा लाल दिखता है और इसे ही ब्लड मून कहते हैं।

क्या कभी सुपरमून, ब्लूमून और ब्लडमून एक साथ हुआ है?

साल 2018 में 31 जनवरी को यह दुर्लभ खगोलिय घटना हुई थी। जब भारत समेत दुनिया भर के लोग इस खगोलीय घटना के गवाह बने थे। यह मौका था जब ‘ब्लडमून’, ‘सुपरमून’ और ‘ब्लूमून’ दुनिया एक साथ देख रही थी। एक साथ ये तीनों घटनाएं भारत के लोग शाम 6.21 बजे से 7.37 बजे के करीब देखे गये थे। भारत के अलावा यह दुर्लभ नजारा समूचे उत्तरी अमेरिका, प्रशांत क्षेत्र, पूर्वी एशिया, रूस के पूर्वी भाग, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी दिखा था। इस दौरान चंद्रमा आम दिनों की तुलना में अधिक बड़ा और चमकदार दिखा। बता दें कि यह 2018 का पहला चंद्रग्रहण था। इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह से लाल दिखाई दिया था।

अब अगली बार कब दिखेगा ये सुपर ब्लूमून?

अर्थस्काई की रिपोर्ट के मुताबिक अब 20 मई, 2027 को दिखाई दे सकता है अगला सुपर ब्लूमून। वहीं इसके बाद 24 अगस्त 2029, 21 अगस्त 2032, 22 मई, 2035, 18 मई, 2038, 22 अगस्त 2040, 20 अगस्त 2043।

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