

नई दिल्ली : केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा है कि वे वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) पर एक जून से एक महीने तक जागरूकता अभियान चलाएं ताकि कानून के कार्यान्वयन में सुधार हो और आदिवासी समुदायों और अन्य पारंपरिक वनवासियों के बीच व्यापक भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने अपने पत्र में कहा कि यह अभियान राज्य और जिला स्तर पर जिला एफआरए प्रकोष्ठों और परियोजना प्रबंधन इकाइयों के नेतृत्व में चलाया जाना चाहिए। इसमें एफआरए को लागू करने में अनुभव रखने वाले गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), शैक्षणिक संस्थानों और समुदाय-आधारित संगठनों के साथ सहयोग करने का आह्वान किया गया। मंत्रालय के अनुसार अभियान हितधारकों को उनके व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकारों, एफआरए प्रक्रिया में ग्राम सभाओं की भूमिका और दावे दायर करने की प्रक्रियाओं के बारे में जागरुक करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
अन्य सुझायी गयी गतिविधियों में एफआरए भूमि अधिकारों (पट्टों) का वितरण, एफआरए लाभार्थियों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड और कृषि संबंधी जानकारी प्रदान करना, उनका आधार नामांकन, उन्हें पीएम-किसान जैसी योजनाओं से जोड़ना और लंबित दावों को निपटाने के लिए साप्ताहिक बैठकें आयोजित करना शामिल हैं। मंत्रालय ने राज्य सरकारों से जिला अधिकारियों, कृषि, मत्स्य पालन, पंचायती राज जैसे संबंधित विभागों के साथ समन्वय कर तुरंत योजना बनाने को कहा है। वन अधिकार अधिनियम, 2006, आदिवासियों और वन-आश्रित समुदायों के उस भूमि पर अधिकारों को मान्यता देता है जिस पर वे पीढ़ियों से रह रहे हैं और जिसकी रक्षा कर रहे हैं।