असम में बाढ़ की स्थिति में मामूली सुधार

नदियों में घट रहा है जलस्तर
असम में बाढ़ के दौरान सुरक्षित जगहों पर जाते ग्रामीण
असम में बाढ़ के दौरान सुरक्षित जगहों पर जाते ग्रामीण
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गुवाहाटी : असम में बाढ़ की स्थिति में मामूली सुधार हुआ है क्योंकि ब्रह्मपुत्र सहित प्रमुख नदियों में जलस्तर घट रहा है, हालांकि राज्य के 18 जिलों में चार लाख से अधिक लोग अब भी बाढ़ से प्रभावित हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। अधिकांश जिलों में बारिश कम हुई है और कुछ में छिटपुट बारिश हुई है, जिससे प्रमुख नदियों के जलस्तर में कमी आई है। धुबरी में ब्रह्मपुत्र, धरमतुल में कोपिली, हैलाकांडी के कटाखल में बराक नदी और श्रीभूमि में कुशियारा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। बाढ़ जनित घटनाओं में शनिवार को किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है, हालांकि कामरूप (मेट्रो) जिले में एक व्यक्ति के लापता होने की खबर है। शनिवार की सुबह गुवाहाटी के रूपनगर इलाके में भूस्खलन हुआ और एक व्यक्ति के लापता होने की सूचना है। भारी बारिश के कारण भूस्खलन और बाढ़ की मौजूदा पहली लहर ने अब तक 21 लोगों की जान ले ली है। बाढ़ के कारण 18 जिलों के 54 राजस्व हलकों (क्षेत्रों) के तहत 1,296 गांव प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा 16,558.59 हेक्टेयर कृषिभूमि अब भी जलमग्न है और 2,96,765 पशु प्रभावित हुए हैं। बाढ़ के कारण विस्थापित हुए 40,313 से अधिक लोगों ने 328 राहत शिविरों में शरण ली है, जबकि 1,19,001 लोगों को प्रभावित जिलों में स्थापित वितरण केंद्रों पर राहत प्रदान की गयी है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने शुक्रवार को एक सप्ताह में दूसरी बार बराक घाटी का दौरा किया और लोगों को समय पर पुनर्वास अनुदान देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि दुर्गापूजा उत्सव से पहले सड़कों जैसे क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे की मरम्मत की जाएगी। ब्रह्मपुत्र नदी में आई बाढ़ के कारण यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) के विश्व धरोहर स्थल में शामिल काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का विशाल भूभाग जलमग्न हो गया है, जबकि पबित्रा वन्यजीव अभयारण्य का 70 प्रतिशत हिस्सा ब्रह्मपुत्र और कोपिली नदियों में आई बाढ़ के पानी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। बाढ़ के कारण एक सींग वाले गैंडे सहित अन्य जानवरों तथा अन्य वन्यजीवों को आश्रय के लिए ऊंचे स्थानों पर जाना पड़ा है। एक अधिकारी ने कहा, ‘वन कर्मी स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और वन्यजीवों पर बाढ़ के प्रभाव को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।’

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