सिक्किम बर्फ की चादर में लिपटा, एनबीए ने पर्यावरण संरक्षण के लिए 8.3 लाख रुपये की सौगात दी

नाथुला में बर्फबारी के बीच एनबीए का पर्यावरण संरक्षण को समर्थन, स्थानीय बीएमसी को आर्थिक सहायता
सिक्किम बर्फ की चादर में लिपटा, एनबीए ने पर्यावरण संरक्षण के लिए 8.3 लाख रुपये की सौगात दी
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कोलकाता : शुक्रवार को नाथुला दर्रे सहित भारत-चीन सीमा के ऊंचे इलाकों में ताज़ा बर्फबारी हुई, जिससे पूरे सिक्किम में तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई। कई ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पारा शून्य से नीचे चला गया, जिसके कारण प्रमुख पर्वतीय मार्गों पर यातायात प्रभावित हुआ। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, नाथुला, कुपुप और त्सोम्गो (चांगू) झील क्षेत्र में सुबह से ही भारी से बहुत भारी बर्फबारी दर्ज की गई। विभाग ने सिक्किम के लिए रेड अलर्ट जारी करते हुए अगले 24 घंटों तक मौसम खराब रहने की चेतावनी दी है।

स्थानीय प्रशासन ने पर्यटकों और परिवहन संचालकों को ऊंचाई वाले इलाकों की यात्रा से बचने की सलाह दी है, क्योंकि सड़कों पर जमी बर्फ के कारण फिसलन बढ़ गई है। सीमा सड़क संगठन (BRO) की टीमें लगातार बर्फ हटाने और आवश्यक मार्गों को सुचारू रखने के कार्य में जुटी हैं। अधिकारियों ने बताया कि नाथुला क्षेत्र में रात का तापमान और गिरने की संभावना है, जिससे यह इस मौसम की सबसे शुरुआती और भारी बर्फबारी में से एक बन गई है। राज्य सरकार ने आपदा प्रतिक्रिया टीमों को सतर्क मोड पर रखा है और स्थानीय निवासियों से सावधानी बरतने का आग्रह किया है।

इसी बीच, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) ने जैव विविधता अधिनियम, 2002 के तहत पहुँच और लाभ-साझाकरण (Access and Benefit Sharing) ढाँचे के अंतर्गत उत्तर प्रदेश और सिक्किम की दो जैव विविधता प्रबंधन समितियों (BMCs) को कुल 8.3 लाख रुपये जारी किए हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अनुसार, यह राशि सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के अकराबाद कौल तालुका स्थित नरराऊ गाँव की बीएमसी और सिक्किम के अरितार स्थित लम्पोखरी झील क्षेत्र की बीएमसी को हस्तांतरित की गई है।

मंत्रालय ने बताया कि एक कंपनी ने नरराऊ गाँव से लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास का उपयोग कर किण्वनीय यौगिक विकसित किए, जबकि दूसरी कंपनी ने लम्पोखरी झील क्षेत्र से जल और मिट्टी के नमूनों से अनुसंधान उद्देश्यों के लिए सूक्ष्मजीव प्राप्त किए। एनबीए का कहना है कि इस तरह के वित्तीय सहयोग से स्थानीय समुदायों को जैव विविधता संरक्षण और सतत संसाधन प्रबंधन में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए सशक्त बनाया जा रहा है। इससे पहले, प्राधिकरण ने महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में भी जमीनी स्तर पर संरक्षण कार्यों के लिए 1.36 करोड़ रुपये जारी किए थे।

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