जलभराव रोकने को एम्स में सीवर लाइन जरूरी : दिल्ली हाई कोर्ट

न्यायमूर्ति रजनीश कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा का पीठ कर रहा है सुनवाई
जलभराव रोकने को एम्स में सीवर लाइन जरूरी : दिल्ली हाई कोर्ट
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नयी दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने ग्रीन पार्क एक्सटेंशन और आसपास के क्षेत्रों में जलभराव को रोकने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) परिसर में सीवर लाइन की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

न्यायमूर्ति रजनीश कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा का पीठ क्षेत्र में जलभराव के मसले पर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। अदालत ने 18 जून के आदेश में दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की दलीलों पर गौर किया, जिसमें कहा गया था कि प्रस्तावित सीवर लाइन 200 मीटर से अधिक लंबी नहीं होगी और इसके लिए एम्स परिसर में केवल 130 मीटर भूमि की जरूरत होगी। पीठ ने कहा, ‘अदालत को संबंधित क्षेत्रों में जलभराव को रोकने के लिए एम्स परिसर में सीवर लाइन बिछाने की आवश्यकता पर कोई संदेह नहीं है। इसके अलावा, भूमि की आवश्यक सीमा और व्यापक सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए, अदालत इसे लेकर स्पष्ट है कि एम्स आवासीय परिसर में नयी सीवर लाइन बिछाई जानी जरूरी है।’ पीठ ने अन्य निर्देश भी जारी किए, जिनमें डीजेबी और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को मौजूदा सीवर लाइन और वर्षा जल निकासी नाले की नियमित सफाई सुनिश्चित करने की हिदायत देना भी शामिल है। इसके अलावा, डीजेबी के मुख्य अभियंता को 8 जुलाई को एम्स, एमसीडी, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), नयी दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) और वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करने का आदेश दिया गया। अदालत ने कहा,‘डीजेबी के मुख्य अभियंता और एमसीडी के आयुक्त उपरोक्त अधिकारियों के परामर्श से और विशेष रूप से एम्स (नोडल अधिकारी) की संतुष्टि के अनुसार सीवर लाइन बिछाने और वर्षा जल निकासी नाले की योजना पर एक रिपोर्ट पेश करेंगे।’ मामले की सुनवाई 28 जुलाई को होगी। एम्स ने समस्या को नियंत्रित करने के लिए अपने परिसर में सीवर लाइन बिछाने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए 29 मई को कहा था कि क्षेत्र में जलभराव मुख्य रूप से वर्षा जल निकासी प्रणाली के ठीक से काम नहीं के कारण है, न कि मौजूदा सीवर ढांचे की अपर्याप्तता के कारण।


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