

लखनऊ - उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के तितावी थाना क्षेत्र के काजीखेड़ा गांव के एक पूर्व माध्यमिक विद्यालय में एक मुस्लिम शिक्षिका फरहाना खातून पर छठी कक्षा के हिंदू छात्र की चोटी (शिखा) काटने और तिलक हटाने का आरोप लगा है। जानकारी के मुताबिक, छात्र देवांश रोज पूजा करके और तिलक लगाकर स्कूल जाता था। उसका कहना है कि शिक्षिका ने उसे ऑफिस में बुलाकर कैंची से उसकी चोटी काट दी और तिलक हटाने को कहा।
साथ ही धमकी दी कि अगर उसने चोटी नहीं कटवाई, तो उसे पढ़ाया नहीं जाएगा। जब देवांश ने यह बात अपनी बहन को बताई, तो वह शिकायत लेकर स्कूल पहुंची। वहां शिक्षिका ने कथित तौर पर बदसलूकी की और अन्य छात्रों से भी कुछ कहलवाया। इसके बाद, शिक्षिका ने देवांश की टीसी (स्थानांतरण प्रमाण पत्र) काट दी और उसे परिवार को सौंप दिया। इस पर परिजन थाने पहुंचे और शिक्षिका के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
जांच एबीएसए को सौंपी गई
पीड़ित छात्र के परिजनों ने तितावी थाने में शिक्षिका के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई और सख्त कार्रवाई की मांग की है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संदीप कुमार ने तुरंत खंड शिक्षा अधिकारी (एबीएसए) को जांच का जिम्मा सौंप दिया है। उन्होंने बताया कि जांच पूरी होने के बाद ही मामले पर स्पष्ट रूप से कुछ कहा जा सकेगा। दूसरी ओर, शिक्षिका फरहाना खातून ने सभी आरोपों को पूरी तरह से गलत बताया है। उन्होंने कहा कि वह उच्च प्राथमिक विद्यालय काज़ीखेड़ा, ब्लॉक बघरा, मुजफ्फरनगर में प्रभारी पद पर कार्यरत हैं और छात्र देवांश द्वारा लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं। फरहाना का कहना है कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है।
"दाखिला 15 दिन पहले हुआ"
शिक्षिका फरहाना खातून का कहना है कि देवांश का एडमिशन करीब 15 दिन पहले ही हुआ था और वह पास के गांव खेड़ी दूधाधारी से स्कूल आता है। उन्होंने बताया कि रास्ते में देवांश की अन्य बच्चों से बहस हो गई थी, क्योंकि शिकायतें मिल रही थीं कि वह साइकिल से जानबूझकर स्लिप मारता है और बच्चों को गिरा देता है। फरहाना ने यह भी आरोप लगाया कि देवांश कुछ मंत्र पढ़ता था और अन्य छात्रों से भी इसी तरह की बातें करता था, क्योंकि उसके माता-पिता भी इस तरह के कार्यों से जुड़े हुए हैं। शिक्षिका के अनुसार, जब खेड़ी दूधाधारी के कुछ बच्चे देवांश की शिकायत लेकर उसके घर पहुंचे, तो देवांश के परिजनों ने उन बच्चों के साथ-साथ उन्हें भी गालियां दीं, जिनका स्तर बेहद आपत्तिजनक था। फरहाना खातून ने कहा कि उन्होंने बच्चों से यह जरूर कहा था कि अपने माता-पिता को स्कूल लेकर आएं, ताकि वे अपनी शिकायतें सामने रख सकें।
"दाखिला 15 दिन पहले हुआ"
शिक्षिका फरहाना खातून ने बताया कि जब देवांश की मां स्कूल आईं, तो उन्होंने उन पर हमला बोलते हुए बेहद आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया, जिससे उनका आत्मसम्मान आहत हुआ। यह घटना उन्होंने पिछले दिन की बताई और कहा कि वे इसी कारण थाने नहीं गईं, क्योंकि उन्हें अपने सम्मान पर चोट महसूस हुई। फरहाना के अनुसार, उस वक्त स्कूल के कई बच्चे और एक चपरासी भी मौजूद थे, जो इस घटना के गवाह हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस पूरे मामले को जानबूझकर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है, जबकि उनका ‘चोटी’ जैसी किसी चीज से कोई लेना-देना नहीं है। फरहाना खातून ने दावा किया कि वे पिछले 15–16 वर्षों से स्कूल में कार्यरत हैं और अब तक उनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं आई है। उन्होंने यह भी बताया कि स्कूल में करीब 80% छात्र हिंदू हैं और मुस्लिम छात्रों की संख्या 20% से भी कम है।
"कैंची से चोटी काट दी"
वहीं पीड़ित छात्र देवांश ने बताया कि वह छठी कक्षा का छात्र है और रोज तिलक लगाकर स्कूल जाता था। उसने फिर से आरोप दोहराया कि शिक्षिका ने उसे ऑफिस में बुलाकर कैंची से उसकी चोटी काट दी और तिलक हटाने को कहा। देवांश ने यह भी कहा कि जब उसकी बहन इस शिकायत को लेकर स्कूल पहुंचीं, तो शिक्षिका ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया और अन्य बच्चों से भी उनके खिलाफ कुछ कहलवाया।