RBI ने रेपो रेट घटाकर 5.25% किया, EMI में राहत और GDP अनुमान 7.3% तक बढ़ा

मुद्रास्फीति नियंत्रण और जीडीपी अनुमान में बढ़ोतरी से निवेशकों का भरोसा मजबूत
RBI Governor on Global Economy
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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपनी तीन दिवसीय बैठक के बाद महत्वपूर्ण फैसला लिया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने घोषणा की कि रेपो रेट को 25 आधार अंकों की कटौती के साथ 5.25 प्रतिशत पर ला दिया गया है। यह फैसला 3 से 5 दिसंबर 2025 तक चली बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। गवर्नर ने कहा कि यह कटौती मुद्रास्फीति के निम्न स्तर और मजबूत आर्थिक वृद्धि के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक थी।

रेपो रेट कटौती का प्रभाव: ईएमआई में कमी और तरलता बढ़ोतरी

रेपो रेट में कटौती से बैंकों के उधार दरें घटेंगी, जिससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की मासिक किस्तें (ईएमआई) कम हो जाएंगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह कदम उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ाएगा और मांग को प्रोत्साहित करेगा। गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि बैंकों ने पहले ही उधार दरों में 63 आधार अंकों की कमी की है, जबकि जमा दरें 105 आधार अंकों से घटी हैं। इसके अलावा, आरबीआई ने सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के ओएमओ (ओपन मार्केट ऑपरेशंस) और 5 अरब डॉलर के तीन वर्षीय डॉलर-रुपया स्वैप की घोषणा की, जो दिसंबर में तरलता इंजेक्ट करेगी।

जीडीपी वृद्धि अनुमान में वृद्धि: 7.3% का मजबूत पूर्वानुमान

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि अनुमान को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है। गवर्नर ने कहा, "यह छह तिमाही उच्च 8.2 प्रतिशत की दूसरी तिमाही वृद्धि पर आधारित है।" तीसरी तिमाही के लिए 7 प्रतिशत, चौथी के लिए 6.5 प्रतिशत का अनुमान है। कृषि की अच्छी संभावनाएं, जीएसटी तर्कसंगति, नरम कच्चे तेल कीमतें और मजबूत घरेलू मांग इसके पीछे के कारक हैं।

मुद्रास्फीति पर नियंत्रण: न्यूट्रल स्टांस बरकरार

मुद्रास्फीति अक्टूबर 2025 में ऐतिहासिक निम्न 2.2 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो खाद्य मूल्यों में गिरावट से संभव हुआ। गवर्नर ने इसे "भारत के लिए दुर्लभ गोल्डीलॉक्स क्षण" बताया, जहां मुद्रास्फीति निम्न और वृद्धि मजबूत है। वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान 2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 0.6 प्रतिशत किया गया। एमपीसी ने न्यूट्रल स्टांस बनाए रखा, जो भविष्य के फैसलों के लिए लचीलापन प्रदान करता है।

आर्थिक स्थिरता की दिशा में कदम

यह निर्णय बाजारों में उत्साह लाया, जहां सेंसेक्स और निफ्टी में तेजी आई। गवर्नर मल्होत्रा ने जोर दिया कि सुधारों और वित्तीय स्थिरता से वृद्धि बनी रहेगी। यह कटौती अर्थव्यवस्था को वैश्विक अनिश्चितताओं से निपटने में मजबूत बनाएगी।

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