अयोध्या: भगवान श्री रामलला के ‘सूर्य तिलक’ के लिए अयोध्या में सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। आज रामनवमी के दिन दोपहर के समय सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी। दर्पण व लेंस से जुड़े एक विस्तृत तंत्र द्वारा प्रभु श्री राम लला का सूर्य तिलक संभव हो रहा है। अयोध्या में पीएम मोदी द्वारा प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में नए मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्रतिष्ठा के बाद यह पहली रामनवमी है।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में पहली बार राम नवमी मनाई जा रही है। आज जब भगवान राम का जन्मदिन मनाया जा रहा है तो इस मौके पर रामलला का सूर्य तिलक होगा। देश दुनिया में बैठे राम भक्त भी इस पल के गवाह बनेंगे। श्री राम जन्म भूमि के मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा की मौजूदगी में कल भी सूर्य तिलक का सफल ट्रायल हुआ था। आज मंदिर परिसर में जाने से पहले उनके चेहरे पर खुशी झलक रही थी। उन्होंने लोगों को राम नवमी की बधाई दी। नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि हम सभी मिलकर प्रयास करें कि जो कार्य लिया है और जो हम सबको ट्रस्ट ने कार्य सौंपा है, वह समय से पूर्ण हो जाए। परीक्षण किया गया है, जिसमें सफलता मिली है। आज कार्यक्रम नियत समय पर होगा। सूर्य किरण भगवान के माथे पर आएगी। पूरे देश में राम नवमी मनाई जा रही है। अयोध्या धाम में प्रतिदिन श्रद्धालु हजारों की संख्या में आ रहे हैं।
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सूर्य तिलक के लिए अपनाया जा रहा है ये तरीका
सूर्य की रोशनी मंदिर के तीसरे तल पर लगे पहले दर्पण पर पड़ेगी। यहां से रोशनी परावर्तित होकर पीतल की पाइप में प्रवेश करेगी। पीतल के पाइप में लगे दूसरे दर्पण से टकराकर 90 डिग्री पर पुनः परावर्तित हो जाएगी। फिर पीतल की पाइप से जाते हुए यह किरण तीन अलग-अलग लेंस से होकर गुजरेगी और फिर लंबे पाइप के गर्भ गृह वाले सिरे पर लगे शीशे से ये किरण टकराएगी। गर्भगृह में लगे शीशे से टकराने के बाद किरण सीधे रामलला के मस्तिष्क पर 75 मिलीमीटर का गोलाकार तिलक लगाएगी और निरंतर 4 मिनट तक प्रकाशमान होगी।
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