

नयी दिल्ली : ईडी ने कहा कि उसने कर्नाटक भोवी विकास निगम (केबीडीसी) में कथित वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित धनशोधन जांच के तहत राज्य सरकार संचालित इस विभाग के दो पूर्व अधिकारियों की 26 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की है। केबीडीसी भोवी अनुसूचित जाति के लोगों के कल्याण के लिए काम करता है। कुर्क की गयी संपत्तियां केबीडीसी के पूर्व महाप्रबंधक बी के नागराजप्पा, उसकी पूर्व प्रबंध निदेशक आर लीलावती और कुछ अन्य अभियुक्तों की हैं। निदेशालय ने कहा कि धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत 26.27 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों को कुर्क करने के लिए एक अनंतिम आदेश जारी किया गया है, लेकिन इसका (संपत्तियों का) वर्तमान बाजार मूल्य 40 करोड़ रुपये है। नागराजप्पा और लीलावती को इस जांच के तहत अप्रैल में ईडी ने गिरफ्तार किया था और वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं।
750 फर्जी लाभार्थियों के बैंक खातों का दुरुपयोग
ईडी ने आरोप लगाया कि दोनों अधिकारियों ने बिचौलियों और उनके सहयोगियों के साथ मिलीभगत करके केबीडीसी के धन का दुरुपयोग किया और 750 से अधिक ‘फर्जी’ लाभार्थियों के बैंक खातों में ऋण, सब्सिडी एवं वित्तीय सहायता के तौर पर पैसे मंजूर कर भेजे। ये खाते उनके द्वारा ‘धोखाधड़ी’ से खोले गए थे। निदेशालय का आरोप है कि केबीडीसी से स्वीकृत राशि को बाद में ‘आदित्य एंटरप्राइजेज’, ‘सोमनाथेश्वर एंटरप्राइजेज’, ‘न्यू ड्रीम्स एंटरप्राइजेज’, ‘हरनतिहा क्रिएशंस’ और ‘अन्निका एंटरप्राइजेज’ जैसी विभिन्न संस्थाओं के बैंक खातों में ‘पहुंचाया गया’, जिन्हें नागराजप्पा और अन्य ‘नियंत्रित’ करते थे। ईडी ने दावा किया कि इस धन का उपयोग संपत्तियों की खरीद एवं बिचौलियों को भुगतान करने में किया गया तथा व्यक्तियों एवं विभिन्न अन्य संस्थाओं के बैंक खातों में भी यह धनराशि पहुंचायी गयी। ईडी ने कहा, ‘केबीडीसी से गबन की गयी धनराशि मुख्य रूप से उनकी विलासितापूर्ण जीवन शैली को बनाये रखने तथा उनके और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर चल-अचल संपत्ति अर्जित करने में इस्तेमाल की गयी थी।’ धनशोधन का यह मामला कर्नाटक पुलिस द्वारा केबीडीसी से 97 करोड़ रुपये के ‘दुरुपयोग और हेराफेरी’ के आरोपों पर दर्ज की गयी कई प्राथमिकियों पर आधारित है।