

नई दिल्ली - पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और ऑपरेशन सिंदूर की हकीकत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उजागर करने के लिए गए भारतीय सांसदों और राजनयिकों का प्रतिनिधिमंडल बुधवार सुबह से स्वदेश लौटना शुरू करेगा। ऐसा माना जा रहा है कि अगले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इन दलों से मुलाकात करेंगे और उनसे इस मिशन पर विस्तृत प्रतिक्रिया (फीडबैक) प्राप्त करेंगे। दुनिया के 33 देशों में दस दिन की यह यात्रा बेहद सफल मानी जा रही है।
इस दौरान भारतीय प्रतिनिधियों ने न केवल संबंधित सरकारों से बल्कि वहां के थिंक टैंकों और प्रबुद्ध वर्ग से अनौपचारिक और औपचारिक बातचीत में भारत का पक्ष मजबूती से रखा और उन्हें भारत के दृष्टिकोण से सहमत कराने का प्रयास किया। इस दौरे की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कोलंबिया, जिसने ऑपरेशन सिंदूर के बाद शुरुआत में पाकिस्तान के पक्ष में सहानुभूति जताई थी, अब अपनी स्थिति बदल चुका है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के बाद कोलंबिया ने अपना पुराना बयान वापस ले लिया और आतंकवाद को लेकर भारत के रुख का समर्थन किया।
कब लौटेगा डेलिगेशन ?
पहली प्रतिनिधि टीम 23 मई को शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व में विदेश रवाना हुई थी, जबकि अंतिम टीम 25 मई को रविशंकर प्रसाद की अगुवाई में पश्चिमी यूरोप के लिए गई। उसी दिन कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक और टीम अमेरिका और कोलंबिया जैसे देशों का दौरा करने निकली। जानकारी के अनुसार, शिंदे की टीम बुधवार सुबह दिल्ली लौटेगी, जबकि रविशंकर प्रसाद की टीम 5 जून की रात तक राजधानी पहुंच जाएगी।
इसी दौरान बाकी सभी टीमें भी दिल्ली वापस आएंगी। इस पूरी यात्रा में यह बात खास रही कि विभिन्न राजनीतिक दलों से आए सांसद विदेशों में एकजुट नजर आए, चाहे वे किसी भी मुद्दे पर बात कर रहे हों। यह एकता तब भी दिखाई दी जब भारत में कांग्रेस, जो कि मुख्य विपक्षी पार्टी है, खुद अपने सांसदों की आलोचना कर रही थी। ऐसे में इन प्रतिनिधियों की वापसी के बाद देश में राजनीतिक बयानबाजी और तेज हो सकती है। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 जून को इन प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात कर सकते हैं और उनसे पूरी यात्रा का फीडबैक लेंगे।