अयोध्या: धार्मिक नगरी अयोध्या और उत्तरी एशियाई देश दक्षिण कोरिया के बीच गहरा नाता है। कोरियाई किवदंतियों के मुताबिक करीब 2000 साल पहले अयोध्या की एक राजकुमारी सूरीरत्ना नौका से 4500 किलोमीटर का सफर तय करके कोरिया पहुंची थीं और वहां गया साम्राज्य की स्थापना करने वाले राजा किम सूरो के साथ विवाह किया था। इसके बाद वह राजकुमारी रानी हेओ ज़्वांग ओक बनीं।
भारत में इस किवदंती से शायद ही कोई वाकिफ हो और न ही इस तथ्य से कि दक्षिण कोरिया में खुद को सूरीरत्ना का वंशज मानने वाले करीब 60 लाख लोग अयोध्या को अपना ननिहाल मानते हैं। उनमें से अनेक लोगों ने 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम को आनलाइन माध्यमों से देखा।
गजब का यह अनुभव : अगले महीने 22 अन्य लोगों के साथ अयोध्या आने की योजना बना रहे यू जिन ली ने फोन पर बताया, ‘इस बार हम सभी लोग नए राम मंदिर में भी जाने की योजना बना रहे हैं। हमने समारोह को ऑनलाइन देखा और यह गजब का अनुभव था। मैं अस्थायी मंदिर में नहीं गया हूं, लेकिन इस विवाद के बारे में मैंने पढ़ा है।’
रानी हेओ ज़्वांग-ओक 48 ईस्वी में ‘अयुता’ से कोरिया आई थीं : प्राचीन कोरियाई ग्रंथ, ‘सैमगुक युसा’ के अनुसार, रानी हेओ ज़्वांग-ओक को गिम्हे हेओ परिवारों की पूर्वज माता के रूप में माना जाता है। इस ग्रंथ में कहा गया है कि रानी 48 ईस्वी में ‘अयुता’ से कोरिया आई थीं। वह अभी भी कारक कबीले के गिम्हे हेओ परिवारों की पूर्वज मां के रूप में पूजनीय हैं। दक्षिण कोरियाई दूतावास ने भी ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में 22 जनवरी को राम मंदिर में हुए अभिषेक समारोह के लिए भारत को बधाई दी थी। इस संदेश में कहा गया था, ‘यह स्थान 48 ईस्वी में अयोध्या और गया (कोरिया) के राजा किम सुरो और रानी श्रीरत्ना (हेओ ज़्वांग-ओक) के बीच वैवाहिक संबंध के आधार पर कोरिया-भारत संबंधों के लिए एक बड़ा प्रतीकात्मक महत्व रखता है।’
वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन ने स्मारक के विस्तार के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।