1971 के युद्ध विजय की पेंटिंग अब सेना मुख्यालय नहीं ‘मानेकशॉ सेंटर’ में दिखेगी
नयी दिल्ली : सेना ने 1971 के पाकिस्तान आत्मसमर्पण की प्रतिष्ठित पेंटिंग को सेना मुख्यालय से हटाये जाने पर उठे विवाद पर स्पष्ट किया है कि पर बताया कि यह पेंटिंग अब ‘सबसे उपयुक्त स्थान’ पर स्थापित कर दी गयी है। इसे दिल्ली के ‘मानेकशॉ सेंटर’ में इस इरादे के साथ शिफ्ट किया गया है कि इसे ज्यादा से ज्यादा लोग देख सकें।
गौरतलब है कि देश में हर साल 16 दिसंबर को ‘विजय दिवस’ मनाया जाता है। यह न केवल 1971 में पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किये जाने की याद में मनाया जाता है बल्कि भारत की इस ऐतिहासिक जीत के कारण बांग्लादेश अस्तित्व में आया था। पाकिस्तानी सेना के सरेंडर की यह तस्वीर खूब चर्चा में रहती है। सेना के अतिरिक्त महानिदेशालय (एडीजीपीआई) ने बताया कि यह पेंटिंग ‘विजय दिवस’ के अवसर पर सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अपनी पत्नी और एडब्ल्यूडब्ल्यूए की अध्यक्ष सुनीता द्विवेदी के साथ ‘सबसे उपयुक्त स्थान’ मानेकशॉ सेंटर में लगायी। यह सेंटर 1971 युद्ध के नायक और इसके वास्तुकार फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के नाम पर रखा गया है। सेना का मानना है कि मानेकशॉ सेंटर पर पेंटिंग को रखे जाने से बड़ी संख्या में दर्शकों को इसका लाभ मिलेगा।
कांग्रेस ने संसद में उठाया मुद्दा
यह पेंटिंग पहले दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय में लगी हुई थी। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा के शून्यकाल में इसका मुद्दा उठाया था। इसके अलावा सोमवार को नेपाली सेना प्रमुख के भारतीय सेना मुख्यालय के दौरे के दौरान इस पेंटिंग की अनुपस्थिति ने भी ध्यान आकर्षित किया।
सेना प्रमुख के लाउंज में लगी ‘कर्म क्षेत्र’ पेंटिंग
गौरतलब है कि जहां पहले 1971 युद्ध की यह पेंटिंग लगी हुई थी वहां अब नयी पेंटिंग ‘कर्म क्षेत्र’ लगायी गयी है। इस पेंटिंग में पेंगॉन्ग त्सो झील और बर्फ से ढके पहाड़ों के साथ-साथ चाणक्य और गरुड़ को दर्शाया गया है। इसके अलावा इसमें भगवान कृष्ण को अर्जुन का रथ हांकते हुए दिखाया गया है, जिसके चारों ओर टैंक और हेलिकॉप्टर नजर आते हैं। सेना ने इस कदम को ऐतिहासिक महत्व और उचित सम्मान देने के उद्देश्य से उठाया गया बताया है।
पाकिस्तानी सेना के सरेंडर की पेंटिंग ‘सबसे उपयुक्त स्थान’ पर शिफ्ट की गयी : सेना
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