दीमापुर : एनएससीएन/ जीपीआरएन-के (निकी) ने कहा कि केंद्र सरकार को भारत-नागा राजनीतिक मुद्दे को हल करने के लिए गंभीरता दिखानी चाहिए, न कि अपनी एजेंसियों का इस्तेमाल कर नागा नेताओं के चरित्र को सार्वजनिक रूप से नीचा दिखाने और उनकी हत्या करने तथा झूठ और दुष्प्रचार फैलाने के साथ उनके परिवार के सदस्यों को परेशान करने के स्तर तक गिर जाना चाहिए, जो कि एक ऐसे देश से कम से कम अपेक्षित है, जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और एक उभरती वैश्विक शक्ति होने पर गर्व करता है।
इंफाल ईस्ट में धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक विशेष अदालत द्वारा अपने अध्यक्ष ‘जनरल (सेवानिवृत्त)’ निकी सुमी को ‘पीएमएलए के तहत फरार’ घोषित करने की खबरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, निकी सुमी के नेतृत्व वाले एनएससीएन/जीपीआरएन (के) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि यह मामला 2017 की एक घटना से संबंधित है, जिसमें मणिपुर के करोंग के पास एक मोबाइल वाहन चौकी, जिसमें 34 असम राइफल्स के जवान थे, ने म्यांमार के तागा में शादी की 25वीं वर्षगांठ मनाने के लिए रखे गए धन को रोक कर जब्त कर लिया था। समूह ने दावा किया कि असम राइफल्स ने इस मामले को मणिपुर पुलिस को भेज दिया था और परिणामस्वरूप मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सेनापति की अदालत में मामला दर्ज किया गया, जिसमें जब्त धन के स्रोत के बारे में सभी प्रासंगिक दस्तावेज पेश किए गए और उचित न्यायिक प्रक्रियाओं के बाद, अदालत ने 9 मई, 2017 को (केस नंबर 10 ऑफ 2017 रेफरी एफआईआर नंबर 8(4) एसपीटी पी.एस. यू/एस 17यूए(पी) एक्ट) अभियुक्त के पक्ष में फैसला सुनाया और जब्त धन वापस करने का आदेश दिया। चूंकि जनरल निकी सुमी को कभी भी धन के साथ गिरफ्तार नहीं किया गया था, इसलिए समूह ने केंद्र से पूछा कि निकी सुमी मनी लॉन्ड्रिंग के किन अन्य मामलों में शामिल थे, जैसा कि आरोप लगाया गया है। इसने कहा कि अगर केंद्र सरकार का इरादा दबाव की रणनीति का उपयोग कर नागा राजनीतिक अधिकारों को पूरी तरह से कमजोर करने का था, तो उसे शांति प्रक्रिया के लिए कभी भी आमंत्रित नहीं करना चाहिए था। एनएससीएन/जीपीआरएन (के) ने जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार की छलपूर्ण और दबावपूर्ण रणनीति, मजबूत ऐतिहासिक नींव पर आधारित नागा राजनीतिक अधिकारों को कभी कमजोर या नुकसान नहीं पहुंचा सकेगी।