करोड़पति नहीं हैं ISRO का कोई भी वैज्ञानिक, पूर्व प्रमुख माधवन नायर का दावा

चंद्रयान-3 की लैंडिंग पर खुश होते इसरो के साइंटिस्ट (सोर्स- इंटरनेट)
चंद्रयान-3 की लैंडिंग पर खुश होते इसरो के साइंटिस्ट (सोर्स- इंटरनेट)
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नई दिल्ली: चंद्रयान-3 की सफलता पर ISRO पूर्व अध्‍यक्ष माधवन नायर ने गुरुवार (24 अगस्त) को बयान दिया है। उन्होंनें वैज्ञानिकों के सैलरी के बारे में कहते हुए बताया कि इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के वैज्ञानिकों का वेतन दूसरे विकसित देशों के वेतन का पांचवा हिस्सा है लेकिन इसका एक लाभ भी है कि वैज्ञानिक मिशन मून के लिए किफायती तरीके तलाश सके।

'करोड़पति नहीं हैं इसरो के वैज्ञानिक'

ISRO पूर्व प्रमुख जी माधवन ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक बहुत ही सामान्य जीवन जीते हैं। इसरो के वैज्ञानिकों में कोई भी करोड़पति नहीं हैं। सच यह है कि वे धन की कोई परवाह भी नहीं करते। उनमें अपने मिशन को लेकर जुनून और प्रतिबद्धता होती है। इस तरह हम मुकाम ऊंचा हासिल करते हैं।

'कम लागत में बना चंद्रयान'

उन्होंने कहा कि हम एक-एक कदम से कुछ न कुछ सीखते हैं। जैसे हमने बीते हुए समय से सीखा है, हम अगले मिशन में उसका इस्तेमाल करते हैं। भारत अपने अंतरिक्ष अभियानों के लिए घरेलू तकनीक का उपयोग करता है।  इससे उन्हें लागत कम करने में काफी मदद मिली है। भारत के अंतरिक्ष मिशन की लागत अन्य देशों के अंतरिक्ष अभियानों की तुलना में 50 से 60 प्रतिशत कम है। उन्होंने कहा कि हमने अच्छी शुरुआत की है और बड़ी उपलब्धि हासिल की। बता दें कि चंद्रयान-3 का कुल लागत इसरो की तरफ से 615 करोड़ रुपए बताई गई है।

दूसरे देशों को लगता है कम समय

बता दें कि भारत के चंद्रयान-3 की लागत दूसरे देशों की तुलना में काफी कम है। हालांकि, इसे चांद पर पहुंचने में 40 दिन लगे और दूसरे देशों के स्पेसक्राफ्ट 4 से 5 दिन में ही चांद पर लैंड कर गए, लेकिन उनसे इसकी लागत कई सौ करोड़ रुपये कम है। जिससे भारत कम खर्चे में चांद पर अपना यान सफलतापूर्वक भेज पाया।

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