
दीमापुर : नागालैंड की मूल-स्वदेशी पहचान और सुरक्षा ढांचे की रक्षा के लिए नागा छात्र संघ (एनएसएफ) के इनर लाइन रेगुलेशन कमीशन ने सभी अंतरराज्यीय और अंतर-जिला टैक्सी मालिकों, ड्राइवरों और ऑपरेटरों को एक सख्त सलाह जारी की है। सलाह में 1873 के बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन (बीईएफआर) का सख्ती से पालन करने का आह्वान किया गया है, जो नागालैंड में प्रवेश करने वाले गैर-नागालैंड के व्यक्तियों के लिए इनर लाइन परमिट (आईएलपी) प्रणाली को अनिवार्य बनाता है।
एनएसएफ ने इस बात पर जोर दिया कि आईएलपी अनुपालन सुनिश्चित करना केवल एक प्रक्रियात्मक आवश्यकता नहीं है, बल्कि एक संवैधानिक और सांस्कृतिक दायित्व है, जिसका उद्देश्य नागालैंड की जनसांख्यिकी, पारिस्थितिकी तंत्र और आदिवासी विरासत की रक्षा करना है। सभी परिवहन ऑपरेटरों को निर्देश दिया गया है कि वे प्रत्येक यात्री को सवार होने देने से पहले उसकी आईएलपी स्थिति को सत्यापित करें। यदि कोई यात्री नगालैंड सरकार द्वारा जारी वैध आईएलपी प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो उसे विनम्रतापूर्वक सेवाएं देने से मना कर दिया जाना चाहिए। सलाह में यह भी कहा गया है कि गैर-नागालैंड ड्राइवरों को वाहन के अखिल भारतीय टैक्सी परमिट के साथ-साथ अपना वैध आईएलपी भी साथ रखना चाहिए, जिसमें रिकॉर्ड- चाहे डिजिटल हो या भौतिक- प्रवर्तन कर्मियों द्वारा मौके पर सत्यापन के लिए तैयार रखे जाने चाहिए। वैध आईएलपी दस्तावेज़ों के बिना व्यक्तियों को परिवहन करना अवैध परिवहन माना जाता है, जिसके लिए बीईएफआर (1873) की धारा 6 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। दंड में भारी जुर्माना, वाहन जब्ती और टैक्सी परमिट रद्द करना शामिल हो सकता है साथ ही राज्य-स्तरीय सुरक्षा प्रोटोकॉल को कमजोर करने के लिए संभावित कानूनी कार्यवाही भी हो सकती है। आईएलपी प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका को दोहराते हुए एनएसएफ ने इसे राज्य की मौलिक पहचान, पारिस्थितिक संतुलन और कानून-व्यवस्था तंत्र को संरक्षित करने वाली कानूनी ढाल के रूप में वर्णित किया। छात्र संगठन ने परिवहन समुदाय के सहयोग पर विश्वास व्यक्त किया और अनुपालन को मजबूत करने के लिए निरंतर निगरानी और जागरूकता प्रयासों का वादा किया। एनएसएफ ने कहा, ‘अनुपालन एक विकल्प नहीं है, यह हमारी भूमि और लोगों के संरक्षण के प्रति एक साझा जिम्मेदारी है।’ आईएलआरसी ने कहा कि आईएलपी प्रणाली न तो नौकरशाही की औपचारिकता है और न ही सुझाव, बल्कि यह नागालैंड के मूल समुदायों, नाजुक पारिस्थितिकी प्रणालियों और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने वाला एक कानूनी कवच है। इसके अलावा आईएलआरसी/एनएसएफ ने बताया कि अनियमित प्रवेश ने जनसांख्यिकीय दबाव के माध्यम से सामुदायिक अखंडता को खतरा पहुंचाया, संवेदनशील क्षेत्रों में पारिस्थितिक संतुलन को अस्थिर किया और नागाओं के संप्रभु क्षेत्र में कानून के शासन को कमजोर किया। आईएलआरसी ने निगरानी उपायों को बढ़ाने की दिशा में काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई लेकिन पवित्र कर्तव्य को बनाए रखने में ऑपरेटरों के साथ साझेदारी पर भरोसा जताया। :‘’