केरल : केरल में जानलेवा निपाह वायरस के फैलने की आशंका फिर गहरा गई है। राज्य के कोझिकोड जिले में अब तक निपाह वायरस संक्रमण के चार मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से दो मरीजों की मौत हो चुकी है। बाकी दोनों का इलाज चल रहा है। लिहाजा, राज्य सरकार ने अलर्ट जारी कर दिया है। वहीं, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर को मानोक्लोनल एंटीबॉडी मेडिसिन की व्यवस्था करने का निर्देश दे दिया गया है। बता दें कि पिछली बार केरल में साल 2018 के दौरान निपाह वायरस के 23 मामले सामने आए थे, जिनमें से 17 लोगों की मौत हो गई थी।
दुकानें और स्कूलें बंद कर दी गई हैं
निपाह वायरस के नए मामलों को देखते हुए पुणे से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और चेन्नई से महामारी विज्ञान विशेषज्ञों की टीम कोझिकोड पहुंच गई है। वहीं, स्थानीय प्रशासन ने एहतियात बरतते हुए संक्रमण वाले इलाके की सभी दुकानें और स्कूल बंद कर दिए हैं। इन इलाकों में मेडिकल स्टोर्स, अस्पताल या कुछ सरकारी कार्यालयों को ही खोलने की अनुमति दी गई है। साथ ही लोगों से जरूरी सावधानी बरतने को कहा गया है। बता दें कि अब तक निपाह वायरस के संक्रमण का ना तो कोई इलाज है और ना ही इसकी कोई वैक्सीन बनी है।
जानें क्या है निपाह वायरस और कैसे पड़ा इसका नाम?
निपाह वायरस एक जूनोटिक वायरस है। ये जानवरों से इंसानों में फैलता है। इसके बाद संक्रमित व्यक्ति से दूसरे लोगों में फैल जाता है। मलेशिया में साल 1999 में सुनगई निपाह गांव में इस वायरस का पहला मामला सामने आया था। इसलिए इसका नाम निपाह वायरस रखा गया था। विशेषज्ञों के मुताबिक, निपाह वायरस फ्लाइंग फॉक्स नाम के चमगादड़ से फैलता है। वायरस से संक्रमित चमगादड़ इंसानों में संक्रमण फैलाते हैं। जानवरों या उनकी लार या शरीर से निकने वाले दूसरे तरल यानी फ्ल्यूड ड्रॉपलेट्स के संपर्क में आने से इसके संक्रमण का खतरा रहता है।
इंसानों में कैसे फैलता है ये वायरस?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, जूनोटिक वायरस निपाह कई बार खाने-पीने की चीजों के जरिये इंसानों में पहुंच जाता है। आसान शब्दों में समझें तो संक्रमित जानवरों के खाए फल को अगर कोई व्यक्ति गलती से खा लेता है तो उसमें भी निपाह वायरस पहुंचकर संक्रमित कर सकता है। इसके बाद एक संक्रमित व्यक्ति दूसरे में संक्रमण फैलाता है। चमगादड़ के अलावा ये वायरस सूअर, बकरी, घोड़े, कुत्ते, बिल्लियों से भी इंसानों में फैल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह हवा के जरिये नहीं फैलता है।
निपाह संक्रमण की कैसे करें पहचान?
विशेषज्ञों के मुताबिक, निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति के दिमाग में सूजन और एंसेफ्लाइटिस जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है। संक्रमित व्यक्ति को बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ और खांसी हो सकती है। हालत गंभीर होने पर पेट दर्द, उलटियां, दौरे पड़ने शुरू हो सकते हैं। ज्यादा गंभीर मामलों में मरीज कोमा में भी जा सकता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, निपाह वायरस से संक्रमण होने पर 75 फीसदी तक मरीजों की मौत का खतरा रहता है। निपाह वायरस की मृत्यु दर को देखते हुए बेहतर है कि शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर की सलाह ली जाए।
कौन हैं निपाह वायरस से संक्रमित मरीज
कोझिकोड में निपाह वायरस से संक्रमित चार लोगों में 9 व 4 साल के दो नाबालिग भाई-बहन, उनके 22 वर्षीय चाचा और उनके 9 महीने के चचेरे भाई को बुखार था। नाबालिगों को बाल रोग विभाग में भर्ती कराया गया था। वहीं, चाचा को सांस लेने में दिक्कत और दौरे पड़ने के कारण पल्मोनोलॉजी विभाग में भर्ती कराया गया था। कोझिकोड के एस्टर एमआईएमएस अस्पताल में क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. अनूप कुमार एएस के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने चारों का सामान्य वायरस के लिए परीक्षण किया ताकि पता लगाया जा सके कि उन्हें इन्फ्लूएंजा, कोरोनो वायरस या दूसरा संक्रमण तो नहीं है।
डॉ. अनूप ने वायरस का कैसे लगाया पता?
डॉ. अनूप कुमार एएस ने 2018 के दौरान भी केरल में निपाह वायरस का पता लगाने में अहम भूमिका निभाई थी। इस बार भी उन्होंने ही राज्य में निपाह वायरस की दस्तक को पहचाना है। चारों मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों की टीम ने फैमिली हिस्ट्री जुटाई। इस दौरान उन्हें पता चला कि दोनों भाई-बहनों के 49 वर्षीय पिता मोहम्मद अली की 30 अगस्त 2023 को मौत हो गई थी। डॉक्टरों ने तुरंत उस निजी अस्पताल से संपर्क किया, जहां अली को भर्ती किया गया था, तब तक चारों मरीजों का दूसरे वायरस के लिए किए गए परीक्षण का रिजल्ट निगेटिव आया। डॉक्टरों ने पाया कि अली को ब्रोंकोपमोनिया था। उन्हें बोलने में दिक्कत और डिप्लोपिया की समस्या थी।
जांच में संक्रमित पाए गए चमगादड़
डॉ. अनूप के मुताबिक, इसी बीच अली के बड़े बेटे को सांस लेने में गंभीर कठिनाई हुई और मिर्गी के दौरे पड़ने शुरू हो गए। लिहाजा, उसे आईसीयू में ट्रांसफर किया गया। इससे परिवार के निपाह वायरस से संक्रमित होने की आशंका पैदा हुई। उन्होंने बताया कि ये परिवार कोझिकोड में मारुथोंकारा ग्राम पंचायत में रहता है। ये गांव 2018 में निपाह वायरस फैलने वाले केंद्र के बहुत करीब है। इस गांव के नजदीक के वन क्षेत्र में चमगादड़ों के परीक्षण में निपाह वायरस से संक्रमित होने का पता चला था। इससे साफ हो गया था कि भर्ती चारों मरीजों में दिखने वाले लक्षण निपाह वायरस संक्रमण के ही हैं।इसके बाद डॉ. अनूप ने राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज को निपाह वायरस फैलने की आशंका को लेकर सचेत किया।
इंडेक्स मरीज से नहीं था कोई संबंध
एस्टर एमआईएमएस अस्पताल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को भेजने के लिए मरीजों के ब्लड सैंपल ले रहा था, तभी 11 सितंबर की शाम को एक और मरीज वहां लाया गया। ये 40 वर्षीय मरीज कोझिकोड के वडकारा तालुक में अयानचेरी का रहने वाला था। इसे निमोनिया के लक्षण दिखने के बाद पहले वडकारा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एस्टर एमआईएमएस के इमरजेंसी वार्ड में ट्रांसफर करने के कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई। उनके परिवार से शुरुआती पूछताछ में इंडेक्स मरीज मोहम्मद अली और नए मरीज के बीच कोई संबंध नहीं मिला। अली मारुथोंकारा ग्राम पंचायत से थे, जबकि दूसरा मृतक अयानचेरी से था, जो 20 किमी दूर है।
कैसे संक्रमित हुआ दूसरा मृतक?
डॉ. अनूप कुमार ने बताया कि दोनों परिवारों की आपस में कोई रिश्तेदारी भी नहीं है। फिर वडकारा के अस्पताल से डिस्चार्ज समरी मांगी गई, जिसके मुताबिक मरीज को ब्रोंकोपमोनिया और कम ऑक्सीजन स्तर था। ये लक्षण निपाह वायरस का संकेत देते हैं, लेकिन हमें उसके और इंडेक्स रोगी के बीच संबंध का पता लगाना था। अगर दोनों में कोई संबंध नहीं निकलता है तो साफ है कि राज्य में एक से ज्यादा इंडेक्स मरीज हो सकते हैं। मरीज के परिवार से बात करने पर पता चला कि उनके पिता को अगस्त के आखिरी हफ्ते में कोझिकोड के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यह वही अस्पताल था, जिसमें इंडेक्स मरीज मोहम्मद अली को ले जाया गया था, फिर पता चला कि दोनों एक ही समय में एक ही वार्ड में थे।
मृतक का शव तुरंत परिवार को नहीं सौंपा
दूसरा रोगी जो अपने पिता से मिलने अस्पताल आया था, उसने इंडेक्स रोगी अली से बातचीत की थी। डॉ. अनूप का कहना है कि वह इसी दौरान वायरस से संक्रमित हुआ होगा। इंडेक्स रोगी से संबंध पता लगने से पहले डॉ. अनूप ने एहतियात के तौर पर दूसरे मृत मरीज के परिवार को बताया कि उन्हें गंभीर वायरस संक्रमण के कारण मौत का अंदेशा है। लिहाजा, अभी शव परिवार को नहीं सौंपा जा सकता है। उनके ब्लड सैंपल्स एनआईवी, पुणे भेजे गए थे। डॉ. अनूप कहते हैं कि 2018 के अनुभव से उन्हें काफी मदद मिली है। उन्हें पता है कि इसके रोगियों में अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं। इसमें पारिवारिक इतिहास की गहन जांच करना अहम हो जाता है।
संक्रमित होने पर क्या बरतें सावधानी
कोझिकोड में जिला प्रशासन ने 8 पंचायतों को नियंत्रण क्षेत्र घोषित कर दिया है। इनमें अयानचेरी पंचायत के 9 वार्ड, मारुथोंकारा पंचायत के 9 वार्ड, तिरुवल्लूर पंचायत के 3 वार्ड, कुट्टियाडी पंचायत के 8 वार्ड, कायाकोडी पंचायत के 5 वार्ड, विल्यापल्ली के 3 वार्ड, कविलुम्परा पंचायत के 8 वार्ड और पुरमेरी पंचायत का एक वार्ड शामिल है। डॉ. अनूप का कहना है कि किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। हम पहले भी निपाह वायरस से निपट चुके हैं और इस बार भी तैयार हैं। वायरस फैलने के केंद्र के आसपास रहने वाले लोगों को कुछ एहतियात बरतने की जरूरत है। अगर परिवार में किसी को बुखार, सांस लेने में दिक्कत या खांसी होती है तो उसे बाकी सदस्यों से अलग कर दें। फिर डॉक्टर से संपर्क करें।