

कोहिमा : पांच प्रमुख नागा जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाली आरक्षण नीति की समीक्षा समिति (सीओआरआरपी) ने गुरुवार को राज्य की नौकरी आरक्षण नीति की समीक्षा की मांग को लेकर आंदोलन के दूसरे चरण को फिर से शुरू करने की घोषणा की।
पांच प्रमुख जनजातीय निकायों - अंगामी, एओ, लोथा, रेंगमा और सुमी द्वारा ‘5-जनजाति सीओआरआरपी’ के बैनर तले राज्य सरकार को एक संयुक्त ज्ञापन सौंपे जाने के बाद नागालैंड की नौकरी आरक्षण नीति की समीक्षा के लिए दबाव और बढ़ गया। सीओआरआरपी ने कहा है कि 1977 से लागू यह नीति अब पूर्वोत्तर राज्य के विभिन्न समुदायों के वर्तमान सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक परिदृश्य को प्रतिबिंबित नहीं करती है। 3 जून को नागालैंड के उपमुख्यमंत्री यानथुंगो पैटन द्वारा बुलाई गई बैठक के दौरान राज्य सरकार ने जनजातीय निकायों को आश्वासन दिया था कि 17 जून तक मामले की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा। हालांकि, बुधवार को मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा था कि आयोग का कार्य ‘बहुत विस्तृत’ है और तत्काल परिणाम नहीं दे सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी सुधार - चाहे वह प्रशासन, आरक्षण या परिसीमन में हो- राष्ट्रीय जनगणना के बाद ही किया जाना चाहिए, जो 2027 में शुरू होने की उम्मीद है। नागालैंड सरकार की प्रतिक्रिया से नाखुश सीओआरआरपी ने घोषणा की कि 9 जुलाई को कोहिमा में नागालैंड सिविल सचिवालय में धरना दिया जाएगा। यह उनके विरोध का दूसरा चरण है, जिसे 3 जून से स्थगित कर दिया गया था। सीओआरआरपी के सदस्य-सचिव जी के झिमोमी ने बताया, ‘यह अभी एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन होगा। हम सरकार की प्रतिक्रिया का निरीक्षण करेंगे और उसके अनुसार आगे कदम उठाएंगे।’