विदेशी साइबर ठगों को जारी किये 500 से ज्यादा वर्चुअल नंबर, एयरटेल के 2 मैनेजर गिरफ्तार

सांकेतिक तस्वीर
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साइबर अपराधों में टेलीकॉम कंपनियों के कई अधिकारियों के लिप्त होने का भंडाफोड़
नयी दिल्ली/गुरुग्राम : गुरुग्राम पुलिस ने एयरटेल के 2 मैनेजरों को गिरफ्तार कर देश में बढ़ते साइबर अपराधों में टेलीकॉम कंपनियों के कई अधिकारी लिप्त होने का भंडाफोड़ किया है। एयरटेल के दोनों मैनेजरों ने मिलकर पांच सौ से अधिक वर्चुअल नंबर चीन और इंडोनेशिया के साइबर अपराधियों को दे दिये थे। ये सभी नंबर गुरुग्राम एसटीडी कोड वाले थे। इन नंबरों का इस्तेमाल कर इंडोनेशिया और चीन के साइबर ठग आम लोगों की गाढ़ी कमाई में सेंध लगाते थे। पुलिस की कार्रवाई के बाद अब एयरटेल ने अपने दोनों अभियुक्त मैनेजरों को सस्पेंड कर दिया है।
कैसे हुआ पर्दाफाश
रिपोर्ट के अनुसार एयरटेल के मैनेजरों नीरज वालिया और हेमंत शर्मा को साइबर ठगी की शिकार हुई एक महिला की शिकायत के बाद गिरफ्तार किया गया। उक्त महिला ने दावा किया कि उन्होंने वर्क फ्रॉम होम का ऑफर देने वाले ठगों के कारण 10 हजार रुपये गंवा दिये। महिला को पहले होटल के रिव्यू पोस्ट करने के लिए 200 रुपये का भुगतान किया गया। फिर उनको एक टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ा गया। इसके बाद अलग-अलग बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करने को कहा गया। महिला को एक टास्क देकर कुछ पैसे जमा करने और उसके कई गुना राशि वापस देने का वादा किया जाता। एक-दो बार उन्हें अधिक रिटर्न देकर उनका भरोसा जीता गया। फिर हर ट्रांसफर के बाद उसके वर्चुअल अकाउंट में रकम बढ़ती दिखाई दी जब महिला को अधिक अमाउंट लगा तो उसने पैसे निकालने की कोशिश की तो ठगों ने सभी ट्रांजैक्शन ब्लॉक कर दिये।
फ्रॉड कंपनी का था वर्चुअल फोन नंबर
जांच से पता चला कि ठगी गयीं महिला से संपर्क करने के लिए इस्तेमाल किया गया वर्चुअल फोन नंबर एकमदर्श सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक जाली कंपनी का था, जिसके डॉक्यूमेंट्स में डूंडाहेड़ा के एड्रेस का जिक्र था। सिटी पुलिस और इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर (I4सी) की एक साझा टीम ने पाया कि वर्चुअल नंबर को नीरज और हेमंत ने जारी किया था।
जारी किये थे 530 वर्चुअल नंबर
जांच दल की अगुवाई करने वाले पुलिस अधीक्षक (एसीपी) प्रियांशु दीवान के अनुसार नीरज ने एयरटेल में फोन नंबर जारी करने के लिए जरूरी साइट वेरिफिकेशन का काम संभालता था जबकि हेमंत उसका टीम लीडर था। पुलिस को बाद में यह भी पता चला कि इन दोनों ने इंडोनेशिया की कंपनी को करीब 530 वर्चुअल नंबर जारी किये थे, जिनमें कई नंबर चीन के जालसाजों को भी उपलब्ध कराये गये थे।

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