

नई दिल्ली: व्लादिमीर पुत्तिन की भारत यात्रा एक ऐतिहासिक अवसर सिद्ध हुई है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें रूसी भाषा में भगवद्गीता की प्रति भेंट की। यह दो दिवसीय दौरा, जो 4 दिसंबर 2025 को शुरू हुआ, भारत-रूस संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का माध्यम बना। दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर स्वागत के बाद, मोदी ने पुत्तिन को गीता सौंपते हुए कहा, "गीता की शिक्षाएं विश्व भर के करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।"
यह उपहार न केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक है, बल्कि दोनों देशों के बीच गहन समझ और विश्वास का प्रमाण भी। पुत्तिन का यह चार वर्षों बाद भारत आगमन, 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के संदर्भ में, रक्षा, व्यापार और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित है।
भगवद्गीता का वैश्विक महत्व
भगवद्गीता महाभारत का अंश है, जो भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संग्रह है। यह ग्रंथ जीवन के दार्शनिक, नैतिक और आध्यात्मिक प्रश्नों का उत्तर देता है। कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग के सिद्धांतों के माध्यम से गीता मानव को कर्तव्य पालन, निष्काम भाव और आत्म-साक्षात्कार की प्रेरणा प्रदान करती है।
विश्व भर में, गीता ने महात्मा गांधी से लेकर अल्बर्ट आइंस्टीन तक को प्रभावित किया है। रूसी अनुवाद में यह उपहार पुत्तिन को भारतीय दर्शन से परिचित कराने का प्रयास है, जो शांति और संतुलन के संदेश को वैश्विक मंच पर पहुंचाता है। मोदी का यह कदम सांस्कृतिक राजनय की मिसाल है, जो युद्धग्रस्त विश्व में शांति की पुकार को मजबूत करता है।
भारत-रूस संबंधों की मजबूती
भारत और रूस के बीच मित्रता सोवियत काल से चली आ रही है, जो आज रणनीतिक साझेदारी का रूप ले चुकी है। इस यात्रा के दौरान, दोनों नेताओं ने हवाई अड्डे से लोक कल्याण मार्ग तक एक साथ यात्रा की और निजी भोज में विचार-विमर्श किया। अगले दिन राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत, राजघाट पर श्रद्धांजलि और हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता निर्धारित है, उसके बाद समझौतों पर हस्ताक्षर और संयुक्त संवाददाता सम्मेलन होगा। रक्षा निर्यात, ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर जोर दिया जा रहा है। गीता उपहार इस साझेदारी को आध्यात्मिक आयाम प्रदान करता है, जो दोनों राष्ट्रों के लोगों को करीब लाता है।
निष्कर्ष
शांति का संदेशयह उपहार भारत की 'वसुधैव कुटुंबकम' की भावना को रूस तक पहुंचाने का माध्यम है। पुत्तिन को गीता भेंट करके मोदी ने साबित किया कि कूटनीति केवल राजनीति नहीं, बल्कि संस्कृति और मूल्यों का संगम है। विश्व पटल पर यह घटना शांति, सहयोग और पारस्परिक सम्मान का प्रतीक बनेगी, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत होगी।