आपातकाल की यादें जीवित रखनी होंगी : शाह

शाह ने की तीखी टिप्पणी
आपातकाल की यादें जीवित रखनी होंगी : शाह
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नयी दिल्ली : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आपातकाल की यादों को जीवित रखा जाना चाहिए ताकि कोई भी देश पर तानाशाही विचार न थोप सके।

गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल की घोषणा की 50वीं बरसी पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जब बात सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन की होती है, तो ऐसे घटनाक्रमों को हमेशा याद रखा जाना चाहिए, ताकि देश के युवा और किशोर अन्याय के खिलाफ जागरूक और तैयार रह सकें। शाह ने कहा कि देश 50 साल पहले आज ही के दिन घोषित आपातकाल के दौरान कांग्रेस द्वारा किए गए अन्याय और अत्याचारों को कभी नहीं भूलेगा और इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का सही निर्णय लिया है। इंदिरा गांधी सरकार ने 25 जून 1975 को आपातकाल लगाया था। मोदी सरकार इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाती है। उन्होंने कहा, ‘आज हम यहां स्वतंत्रता के बाद के भारत के इतिहास के एक काले अध्याय को याद करने के लिए एकत्रित हुए हैं। हमें आपातकाल की यादों को जिंदा रखना चाहिए ताकि यह कभी दोहराया न जाए और देश के युवा सुसंस्कृत और संगठित होकर बड़े हों।’ शाह ने एक पुस्तक ‘द इमरजेंसी डायरीज : इयर्स दैट फोर्ज्ड ए लीडर’ का विमोचन भी किया, जो आपातकाल के दौरान युवा नरेंद्र मोदी के साथ काम कर चुके सहयोगियों के व्यक्तिगत अनुभवों और अन्य संग्रहीत दस्तावेजों पर आधारित है। यह अपनी तरह की पहली पुस्तक है, जो प्रधानमंत्री के प्रारंभिक वर्षों पर नयी शोध आधारित जानकारी प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक इसकी एक जीवंत तस्वीर प्रस्तुत करती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकतंत्र के आदर्शों के लिए कैसे संघर्ष किया और उसे बनाये रखने और बढ़ावा देने के लिए अपने पूरे जीवन में किस तरह से कार्य किया। शाह ने कहा, ‘यह पुस्तक आपातकाल के दौरान एक युवा कार्यकर्ता के रूप में नरेंद्र मोदी के अनुभवों का विवरण प्रस्तुत करती है। वह उस समय 19 महीनों तक सक्रिय रूप से आंदोलन से जुड़े रहे। उस दौर में गुपचुप तरीके से अखबार छपते थे और प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें बाजारों, छात्रों और महिलाओं के बीच पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी।’ शाह ने कहा कि 24–25 वर्ष के नरेंद्र मोदी ने गुजरात में प्रतिरोध आंदोलन का किस तरह से नेतृत्व किया, उसकी कहानी इस पुस्तक में दर्ज है। शाह ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने भूमिगत रहकर संघर्ष किया और कभी साधु, कभी सरदारजी, कभी एक हिप्पी, कभी अगरबत्ती बेचने वाले या अख़बार विक्रेता के रूप में वेश बदलकर काम किया।’ इस कार्यक्रम को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अश्विनी वैष्णव, दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी संबोधित किया।


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