

नई दिल्ली : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद के निचले सदन के नामकरण की घोषणा के 71 साल पूरा होने के मौके पर बुधवार को कहा कि यह केवल एक सदन नहीं बल्कि भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है।
बिरला ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के माध्यम से इस बात का उल्लेख किया कि 14 मई, 1954 को तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष जी वी मावलंकर ने यह ऐतिहासिक घोषणा की थी कि ‘हाउस ऑफ द पीपुल’ को अब ‘लोकसभा’ के नाम से जाना जायेगा। बिरला ने कहा कि लोकसभा, संविधान के प्रति निष्ठा, जनता की आकांक्षाओं और राष्ट्रहित में लिये गये निर्णयों की सजीव संस्था है। देश की नीतियों की दिशा, जनहित के विधानों का निर्माण और लोकतांत्रिक विमर्श की सबसे प्रामाणिक भूमि यही लोकसभा है। यह वह मंच है जहां भारत की विविधता एकता में बदलती है और जहां हर नागरिक की आवाज, विचार और अधिकार को प्रतिनिधित्व मिलता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोकसभा केवल एक सदन नहीं बल्कि भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस दिन को याद करना भारत की लोकतांत्रिक परंपरा के प्रति आदर भाव व्यक्त करना है।