रेलवे स्टेशन पर ही महिला कुली की हुई हल्दी-मेहंदी, सांसद समेत पहुंचे कई मेहमान

रेलवे स्टेशन पर ही महिला कुली की हुई हल्दी-मेहंदी, सांसद समेत पहुंचे कई मेहमान
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इंदौर: बैतूल रेलवे स्टेशन की इकलौती महिला कुली की शादी आज रात में होगी। कल रेलवे स्टेशन पर उसकी महेंदी रस्म की गई। इस दौरान सांसद, रेलवे स्टाफ, RPF स्टाफ शामिल हुए। मिली जानकारी के अनुसार बैतूल में इकलौती महिला कुली दुर्गा बोरकर की शादी को लेकर मेहंदी और हल्दी की रस्म रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम संपन्न कराई गई। शादी आज रात बैतूल में कल्याण केंद्र में होगी। हल्दी मेहंदी के इस कार्यक्रम में सांसद दुर्गादास उइके शामिल हुए और उन्होंने भी दुर्गा को हल्दी लगाई। कार्यक्रम को लेकर रेलवे स्टाफ और आरपीएफ स्टाफ में उत्साह देखा गया। कार्यक्रम में समाजसेवी महिलाएं भी शामिल हुई। हल्दी और मेहंदी की रस्म अदा होने के बाद महिलाओं ने डांस भी किया ।

बैतूल रेलवे स्टेशन पर कुली थे पिता

दरअसल, दुर्गा बहुत ही गरीब परिवार की बेटी है। दुर्गा के पिता मुन्नालाल बोरकर बैतूल रेलवे स्टेशन पर कुली थे और उन पर तीन बेटियों की जिम्मेदारी थी लेकिन स्वास्थ्य खराब होने के चलते उनका चलना फिरना बंद हो गया। इसके बाद दुर्गा ने परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए अपने पिता का काम करने का निर्णय लिया। 2 साल तक रेलवे के चक्कर लगाने के बाद उसे अपने पिता का बिल्ला मिल गया और 2011 से दुर्गा बैतूल रेलवे स्टेशन पर कुली का काम कर रही है। दुर्गा बैतूल की एकमात्र महिला कुली है और बहुत ही मेहनती है ।

महिला आरक्षक ने जुड़वाया रिश्ता

अपने काम के प्रति दुर्गा का समर्पण और मेहनत देखकर रेलवे स्टाफ और आरपीएफ स्टाफ के लोग हमेशा उससे खुश रहते हैं। दुर्गा की जिंदगी में खुशहाली लाने के लिए आरपीएफ थाने में पदस्थ आरक्षक फराह खान ने एक एएसआई दीपक देशमुख से बात की तो उनके दोस्त सुरेश भूमरकर जो आठनेर के जामठी गांव के है और पेशे से किसान है, उनसे दुर्गा की शादी करवाने का प्रयास किया और बात भी तय हो गई। आज 29 फरवरी को रात्रि में बैतूल रेलवे स्टेशन के कल्याण केंद्र में दुर्गा की शादी होगी। शादी का कुछ खर्च आरपीएफ स्टाफ उठाएगा।

देश की बेटियों की लिए प्रेरणा है दुर्गा- सांसद

बैतूल के सासंद दुर्गादास उइके ने इस मौके पर कहा, सौभाग्य का विषय है कि हमारी दुर्गा बिटिया देश की बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। कुली के रूप में अपने सामर्थ के साथ में दायित्व निभा रही है और अपने परिवार के उदर पोषण के लिए यह काम कर रही है महिला सशक्तिकरण के लिए बड़ा उदाहरण है।

आरपीएफ आरक्षक फराह खान ने कहा, दुर्गा को मैं ढाई साल से जानती हूं और देखती हूं कि बहुत मेहनत करती है। मैंने उसको बोला कि दुर्गा मैरिज क्यों नहीं करती हो? उसने कहा परिवार की जिम्मेदारी है लेकिन हम लोगों ने प्रयास किया और रिश्ता देख दुर्गा तैयार हो गई।

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