

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड में 25 साल की जेल की सजा काट रहे विकास यादव को उसकी बीमार मां की देखभाल के लिए दी गयी अंतरिम जमानत मंगलवार को चार सप्ताह के लिए बढ़ा दी।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह के पीठ ने विकास यादव से कहा कि वह मामले में छूट के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख करें। सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा आधार पर विकास की अंतरिम जमानत बढ़ायी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मेडिकल बोर्ड की एक रिपोर्ट पर विचार किया था, जिसमें कहा गया था कि विकास यादव की मां ‘हेमोडायनामिक’ रूप से स्थिर हैं और उन्हें छुट्टी दी जा सकती है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने विकास को अपनी मां की देखभाल करने के लिए दी गयी अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ा दी थी।
कोर्ट ने 24 अप्रैल को विकास को अपनी बीमार मां से मुलाकात करने के लिए अंतरिम जमानत दी थी और निर्देश दिया था कि एम्स के चिकित्सकों का एक मेडिकल बोर्ड उनकी जांच करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत की शर्तें लगाते हुए दोषी को गाजियाबाद स्थित अपने घर तक ही सीमित रहने और कटारा की मां नीलम कटारा सहित मामले के गवाहों से संपर्क न करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उसे 1 लाख रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि का मुचलका जमा करने की शर्त पर राहत प्रदान की थी। विकास उत्तर प्रदेश के नेता डी पी यादव का बेटा है। उसके चचेरे भाई विशाल यादव को भी कटारा के अपहरण और हत्या के लिए सजा सुनाई गयी थी। दोनों विकास की बहन भारती यादव के कटारा के साथ कथित प्रेम संबंध के खिलाफ थे, क्योंकि वे अलग-अलग जातियों से थे। एक अन्य दोषी सुखदेव पहलवान को बिना किसी छूट के 20 साल की जेल की सजा सुनाई गयी थी। इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने विकास और विशाल यादव को निचली अदालत द्वारा सुनाई गयी आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए दोनों को बिना किसी छूट के 30 साल की सजा सुनाई थी। उसने तीसरे दोषी सुखदेव पहलवान को 25 साल की जेल की सजा सुनाई थी। दिल्ली जेल प्रशासन ने पिछले साल वकास यादव के आचरण को असंतोषजनक पाए जाने के बाद उसकी छूट की मांग को खारिज कर दिया था।