खरगे ने मोदी को पत्र लिख कर की बड़ी मांग

जाति जनगणना पर राजनीतिक दलों से संवाद व तेलंगाना मॉडल अपनाने कि की अपील
खरगे ने मोदी को पत्र लिख कर की बड़ी मांग
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नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वह जातिगत जनगणना के विषय पर सभी राजनीतिक दलों से जल्द बातचीत करें और इस मामले में ‘तेलंगाना मॉडल’ का उपयोग किया जाए। खरगे ने यह भी कहा कि राज्यों द्वारा पारित आरक्षण को तमिलनाडु की तर्ज पर संविधान की नौंवी अनुसूची में डाला जाए, आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को खत्म किया जाए और निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की व्यवस्था लागू हो।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने खरगे का 5 मई की तिथि वाला यह पत्र अपने ‘एक्स’ हैंडल पर साझा किया। रमेश ने कहा, ‘कांग्रेस कार्यसमिति की 2 मई को हुई बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार रात प्रधानमंत्री को पत्र लिखा। देश पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले को लेकर आक्रोश और पीड़ा से गुजर रहा था और इसी बीच प्रधानमंत्री मोदी ने जातिगत जनगणना पर अचानक और हताशाजनक ‘यू-टर्न’ लिया। खरगेजी ने अपने पत्र में तीन बेहद महत्वपूर्ण और स्पष्ट सुझाव दिए हैं।’ पत्र में खरगे ने कहा, ‘मैंने 16 अप्रैल, 2023 को आपको पत्र लिखकर कांग्रेस द्वारा जातिगत जनगणना कराने की मांग आपके समक्ष रखी थी। अफ़सोस की बात है कि मुझे उस पत्र का कोई जवाब नहीं मिला।

दुर्भाग्य से, उसके बाद आपके पार्टी के नेताओं और स्वयं आपने कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के नेतृत्व पर इस जायज मांग को उठाने के लिए लगातार हमले किए।’ उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि यह मांग गहन सामाजिक न्याय और सामाजिक सशक्तीकरण के हित में है। पत्र में कहा गया है, ‘आपने बिना किसी स्पष्ट विवरण के यह घोषणा की है कि अगली जनगणना (जो वास्तव में 2021 में होनी थी) में जाति को भी एक अलग श्रेणी के रूप में शामिल किया जाएगा।’ कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को जाति जनगणना के संदर्भ में तीन सुझाव दिए। खरगे ने कांग्रेस शासित तेलंगाना में हुए जातिगत सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा, ‘जनगणना से संबंधित प्रश्नावली का डिजाइन अत्यंत महत्वपूर्ण है। जाति संबंधी जानकारी केवल गिनती के लिए नहीं बल्कि व्यापक सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एकत्र की जानी चाहिए। गृह मंत्रालय को जनगणना में पूछे जाने वाले प्रश्नों के लिए तेलंगाना मॉडल का उपयोग करना चाहिए।’ उनके अनुसार, प्रक्रिया के अंत में होने वाली रिपोर्ट में कुछ भी छिपाया नहीं जाना चाहिए ताकि प्रत्येक जाति के पूर्ण सामाजिक-आर्थिक आंकडे सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हों, जिससे एक जनगणना से दूसरी जनगणना तक उनकी सामाजिक-आर्थिक प्रगति को मापा जा सके और उन्हें संवैधानिक अधिकार दिए जा सकें।

कांग्रेस अध्यक्ष का कहना है, ‘इसके अलावा जाति जनगणना के जो भी नतीजे आएं, यह स्पष्ट है कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गो के लिए आरक्षण पर मनमाने ढंग से लगाई गयी 50 प्रतिशत की अधिकतम सीमा को संविधान संशोधन के माध्यम से हटाना होगा।’ पत्र में खरगे ने कहा,‘अनुच्छेद 15(5) को भारतीय संविधान में 20 जनवरी 2006 से लागू किया गया था। इसके बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी। लंबे विचार-विमर्श के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी 2014 को इसे बरकरार रखा। यह फैसला 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले आया।’

उनके मुताबिक, यह निजी शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान करता है। उन्होंने कहा कि संसद की एक स्थायी समिति ने गत 25 मार्च को उच्च शिक्षा विभाग के लिए अनुदान की मांग पर अपनी 364वीं रिपोर्ट में भी अनुच्छेद 15 (5) को लागू करने के लिए नया कानून बनाने की सिफारिश की थी। खरगे ने कहा, ‘जाति जनगणना जैसी किसी भी प्रक्रिया को किसी भी रूप में विभाजनकारी नहीं माना जाना चाहिए। सामाजिक और आर्थिक न्याय तथा स्थिति और अवसर की समानता सुनिश्चित करने के लिए इसे उपरोक्त सुझाए गए समग्र तरीके से कराना अत्यंत आवश्यक है।’

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