एनएससीएन-आईएम सुप्रीमो टी मुइवा के सम्मान में 29 अक्टूबर को ‘जेना’ की घोषणा

नगाओं में उत्सव और आस्था का संगम
टी मुइवा के पैतृक गांव सोमदल में उनका सम्मान समारोह
टी मुइवा के पैतृक गांव सोमदल में उनका सम्मान समारोह
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इम्फाल : मणिपुर में नगा समुदाय के लिए 29 अक्टूबर 2025 का दिन ऐतिहासिक बनने जा रहा है। यूनाइटेड नगा काउंसिल (यूएनसी), जो राज्य में सर्वोच्च नगा निकाय के रूप में जानी जाती है, ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा)- एनएससीएन-आईएम- के सुप्रीमो थुइंगलेंग मुइवा के सम्मान में पूरे समुदाय के स्तर पर ‘जेना’ मनाने की घोषणा की है। यह आयोजन मणिपुर के तहमज़म (सेनापति) जिला मुख्यालय में आयोजित होगा और इसे नगा इतिहास में एक असाधारण सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षण माना जा रहा है।

‘जेना’ क्या है? नगा परंपरा का पवित्र काल

‘जेना’ शब्द अंगामी नगा भाषा के शब्द ‘निषिद्ध’ (Forbidden) से उत्पन्न हुआ है। पारंपरिक रूप से यह एक पवित्र काल होता है जिसमें समुदाय किसी महत्वपूर्ण धार्मिक, सामाजिक या सांस्कृतिक अवसर पर अपनी दैनिक गतिविधियां रोक देता है।
‘जेना’ के दौरान नगा लोग यात्रा, व्यापार, शिकार, यौन संबंध या विशेष खाद्य पदार्थों के सेवन जैसी गतिविधियों से परहेज करते हैं। इसका उद्देश्य है दुर्भाग्य को दूर रखना, समृद्धि सुनिश्चित करना और सामूहिक एकता प्रदर्शित करना।
इस बार ‘जेना’ का आयोजन केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि नगा आत्म-सम्मान और राजनीतिक एकजुटता का प्रतीक बताया जा रहा है।

थुइंगलेंग मुइवा : नगाओं के “जीवित महापुरुष”

थुइंगलेंग मुइवा, जिन्हें नगा समुदाय “एनो टी. मुइवा” कहकर संबोधित करता है, का जन्म उखरुल जिले के सोमदल गांव में हुआ था।
92 वर्षीय मुइवा नगाओं के बीच एक दूरदर्शी राजनीतिक और वैचारिक नेता के रूप में प्रमुख स्थान रखते हैं। वे नगा स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक हैं।

मुइवा ने 1960 के दशक की शुरुआत में नगाओं के लिए “स्व-निर्णय” और “नगालिम” - यानी भारत और म्यांमार में फैले सभी नगा क्षेत्रों को एकजुट करने- की विचारधारा को आगे बढ़ाया।
उन्होंने 1964 में Naga National Council (NNC) से जुड़कर अपना राजनीतिक सफर शुरू किया और बाद में 1980 में NSCN (National Socialist Council of Nagaland) की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई।
1988 में संगठन दो हिस्सों में बंट गया - NSCN (Khaplang) और NSCN (Isak-Muivah) - जिसमें मुइवा, इसाक चिशी स्वु के साथ NSCN-IM का नेतृत्व करने लगे।

उनके नेतृत्व में NSCN-IM ने 1997 में भारत सरकार के साथ सीजफायर (युद्धविराम) समझौता किया, जो अब तक चल रहा है।
मुइवा को नगा समुदाय का राजनीतिक मार्गदर्शक, विचारक और जीवित प्रतीक माना जाता है, जिन्होंने 60 वर्षों से अधिक समय तक नगाओं की पहचान और अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

उनकी वापसी और स्वागत समारोह

22 अक्टूबर 2025 को मुइवा अपने पैतृक गांव सोमदल (उखरुल) लौटे। यह उनकी 61 वर्षों की लंबी क्रांतिकारी यात्रा के बाद उनकी पहली सार्वजनिक वापसी थी। उनके स्वागत में हजारों नगा लोग, विभिन्न जनजातियों के प्रतिनिधि, युवा, महिला संगठन और नगा चर्च काउंसिल के सदस्य उपस्थित रहे। इस अवसर पर “वेलकम होम एनो मुइवा” कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें पारंपरिक नगा गीत, नृत्य और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं।
उनकी वापसी को नगाओं ने “इतिहास की परिक्रमा पूर्ण होने” के रूप में देखा- जैसे उनका जीवन संघर्ष अब अपने स्रोत, यानी अपने घर, पर लौट आया हो।

यूएनसी की घोषणा और अपील

यूएनसी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा -

“अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक प्रथाओं के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए, हम वर्तमान मणिपुर राज्य के नगा, 29 अक्टूबर 2025 को तहमजम (सेनापति) में जीवित महापुरुष एनो टी. मुइवा के सम्मान में ऐतिहासिक नागरिक स्वागत समारोह के अवसर पर एक ‘जेना’ की घोषणा करते हैं।”

संगठन ने समुदाय के सभी सदस्यों से अनुरोध किया है कि

  • सभी शैक्षणिक संस्थान उस दिन बंद रखें,

  • दुकानें और बाजार बंद रखें,

  • और सभी आर्थिक गतिविधियों से दूर रहें।

यूएनसी ने यह भी कहा कि यह दिन केवल टी मुइवा के सम्मान का नहीं, बल्कि नगा एकता, पहचान और आत्मनिर्णय के प्रतीक के रूप में मनाया जाएगा।
समुदाय से अपील की गयी है कि वे इस अवसर पर सामुदायिक प्रार्थना, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामूहिक भोज आयोजित करें, जिससे एकता और शांति का संदेश प्रसारित हो।

राजनीतिक और सांस्कृतिक महत्व

यह ‘जेना’ केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि नगा राजनीतिक पहचान की पुनः पुष्टि भी है।
एनएससीएन-आईएम और भारत सरकार के बीच 2015 में हुए Framework Agreement के बाद से शांति वार्ताएं जारी हैं, लेकिन अंतिम समाधान अभी तक नहीं हुआ है।
ऐसे में मुइवा का अपने गृहनगर लौटना और उनके सम्मान में ‘जेना’ का आयोजन नगा आत्मनिर्णय आंदोलन के नए अध्याय की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।

यूएनसी का संदेश

यूएनसी ने अपने संदेश में आशा व्यक्त की-

“यह जनादेश हमारे अनूठे इतिहास और स्थिति के आधार पर आत्मनिर्णय की हमारी खोज में एकता, शक्ति और प्रतिबद्धता का प्रतीक बने। हमारे सामूहिक प्रयास नगाओं के लिए शांति, समृद्धि और प्रगति लाएं।”

29 अक्टूबर को मणिपुर का सेनापति जिला नगा एकता, परंपरा और आत्मसम्मान का केंद्र बनेगा। यह दिन केवल एक व्यक्ति के सम्मान का नहीं, बल्कि उस विचारधारा का उत्सव है, जिसने दशकों तक नगाओं की पहचान, इतिहास और भविष्य को आकार दिया है। ‘जेना’ के इस अवसर पर नगा समुदाय मुइवा के जीवन-संघर्ष को स्मरण करते हुए अपने अतीत और भविष्य दोनों से संवाद करेगा।

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