श्रीलंका संकट में भारत का बड़ा कदम, बचाव और पुनर्वास में अग्रणी भूमिका

चक्रवात दित्वा के बाद भारत ने श्रीलंका में राहत और बचाव में निभाई अग्रणी भूमिका
श्रीलंका संकट में भारत का बड़ा कदम, बचाव और पुनर्वास में अग्रणी भूमिका
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कोलंबो : राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के कार्यालय ने मंगलवार को कहा कि चक्रवात दित्वा के बाद भारत ने तत्काल आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रयासों में अग्रणी भूमिका निभाई है। इस चक्रवात में 400 से अधिक लोग मारे गए और व्यापक तबाही हुई। राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके से बात कर हार्दिक संवेदना व्यक्त की और दोहराया कि भारत इस कठिन घड़ी में श्रीलंका और उसके लोगों के साथ मजबूती से खड़ा है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को दिसानायके से बात की और उन्हें चक्रवात दित्वा से प्रभावित सभी क्षेत्रों में पुनर्वास प्रयासों में निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। टेलीफोन पर बातचीत में मोदी ने श्रीलंका में हुई जान-माल की हानि और तबाही पर संवेदना व्यक्त की और कहा कि भारत इस मुश्किल घड़ी में द्वीपीय राष्ट्र के लोगों के साथ पूरी एकजुटता और समर्थन के संग खड़ा है।

श्रीलंका चक्रवात दित्वा के कारण व्यापक बाढ़, भूस्खलन और बुनियादी ढांचे को नुकसान से जूझ रहा है, जिससे कई जिले अलग-थलग पड़ गए हैं और देश की आपदा-प्रतिक्रिया क्षमता पर भारी दबाव पड़ रहा है। आपदा प्रबंधन केंद्र (DMC) ने 16 नवंबर से चरम मौसम की स्थिति के कारण आई विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन में मंगलवार सुबह तक कम से कम 410 लोगों की मौत और 336 लोगों के लापता होने की पुष्टि की है।

भारत ने ऑपरेशन सागर बंधु शुरू किया और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के 80 कर्मियों वाली दो शहरी खोज और बचाव टीम को द्वीपीय राष्ट्र में भेजा, जिससे ‘पड़ोसी पहले’ की भावना की पुष्टि हुई। इसके अलावा, मंगलवार को यह घोषणा की गई कि श्रीलंका बाढ़ राहत सामग्री को सीमा शुल्क और लेवी से मुक्त करने की अनुमति देगा, बशर्ते कि वे आपदा प्रबंधन महानिदेशक या रक्षा मंत्रालय के सचिव के नाम पर भेजी जाएं।

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