

दिल्ली ब्यूरो
नयी दिल्ली : जापान के ओसाका शहर में आजकल जापान और अन्य कई देशों के लोग भारत के स्ट्रीट फूड का आनंद ले रहे हैं। कचौड़ी, समोसा, गोल गप्पे , चाट पापड़ी, चना चाट , चना जोर गरम आदि लोग चटखारे लेकर खा रहे हैं। ओसाका में 13 अप्रैल से वर्ल्ड एक्सपो-2025 से चल रहा है और इस साल के अक्टूबर तक चलेगा। इसमें दुनिया के 165 देश हिस्सा ले रहे हैं और भारत मंडप लोकप्रियता और दर्शकों , खरीददारों का संख्या की दृष्टि से पांचवें नंबर पर है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी ने बताया कि वैसे तो वर्ल्ड एक्सपो में भारत का प्रतिनिधित्व करना वाणिज्य मंत्रालय और इंडिया ट्रेड प्रमोशन संगठन का काम है। लेकिन भारत सरकार ने विरासत के साथ भारत के व्यापार की प्रदर्शनी लगाने का फैसला किया। भारत की हस्तकला, मूर्तिकला, दस्तकारी, हथकरघा, प्राचीन धरोहरों और सांस्कृतिक विविधता को भी विश्व व्यापार मेले में प्रदर्शित करने का फैसला किया। इसलिए संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाले इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को यह जिम्मा सौंपा गया कि आधुनिक भारत के साथ साथ भारत का सुनहरा अतीत भी यहां लोगों को देखने को मिले। सच्चिदानंद जोशी ने बताया कि जापान महात्मा बुद्ध का अनुयायी है और महात्मा बुद्ध की जन्मस्थली और बौद्ध धर्म का उद्गम भारत है। इसलिए प्रदर्शनी को बौद्ध संस्कृति के अनुकूल रखा गया। जबकि जापान ने विश्व व्यापार मेले का थीम ‘सतत विकास’ रखा है।
सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि जापान जैसे सख्त नियमों और गुणवत्ता से समझौता न करने वाले देश के साथ काम करना बहुत बड़ी चुनौती है। जापान ने प्रदर्शनी लगाने के लिए जो इनबॉक्स दिया उसका साइज मात्र 1751 स्क्वायर मीटर था। बात चूंकि बौद्ध धर्म वाले देश की थी इसलिए अजंता एलोरा की गुफाओं में बने भित्ति चित्रों के नील कमल हाथ में लिए पद्मपाणी की थीम पर भारत पवेलियन का डिजाइन किया गया। भारत सरकार ने टाटा की इको फर्स्ट कंपनी से लोहे की पंखुड़ियां बनवायीं और तीन किस्तों में पंखुड़ियों को जापान भेजा गया। इनको जोड़ कर इन पर गुलाबी रंग का कपड़ा चढ़ा कर गुलाब का रूप दिया गया। जहां 165 देशों के पवेलियन हों वहां पांचवें नंबर पर आना भारत की बड़ी उपलब्धि है।
जापान ट्रैवल ब्यूरो ने 13 अप्रैल से अब तक जो आंकड़े जुटाए हैं अब तक 2 करोड़ 80 लाख लोग भारत मंडप में आ चुके हैं। भारत की साड़ियां, अन्य राज्यों के पहनावे, स्वादिष्ट चटपटा खाना , लोकनृत्य, केवल देख ही नहीं सकते बल्कि सीख भी सकते हैं। योग का प्रदर्शन और क्लास, मिट्टी और घास से बनी कलाकृतियां भारत को अन्य देशों के व्यापार पवेलियन से अलग बनाती हैं। लगभग 6 महीने चलने वाले एक्सपो में भारत ने लगभग हर राज्य को अवसर दिया है कि वे अपनी संस्कृति विरासत ,व्यापार और कला संस्कृति का प्रदर्शन करें। एक सप्ताह में एक राज्य अपने को शो केस कर रहा है। सच्चिदानंद जोशी बताते हैं ओसाका का विश्व एक्सपो भारत के लिए केवल व्यापार की दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि संस्कृति और पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने पहली बार किसी वर्ल्ड एक्सपो को अपने बल बूते पर क्यूरेट किया और उम्मीद से कहीं ज्यादा सफलता और लोकप्रियता हासिल कर रहा है।