नई दिल्ली : चीन अब दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश नहीं रहा। भारत इसको पछाड़ कर पहले नंबर पर आ गया है। इस साल की शुरूआत में ही ग्लोबल एक्सपर्ट्स ने अनुमान लगाया था कि 2023 में भारत की जनसंख्या सबसे ज्यादा होगी और अब इस पर संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की ओर से जारी किए गए नए आंकड़ों ने इसपर मुहर लगा दी है। संयुक्त राष्ट्र (UNFPA) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में अब चीन की तुलना में 20 लाख से ज्यादा लोग हैं। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर बिना जनगणना किए ये कैसे पता चलता है कि किसी देश की जा संख्या कितनी है।
दरअसल, भारत की आबादी 1.4286 अरब पहुंचने वाली है, जबकि चीन में जनसंख्या 1.4257 अरब होने जा रही है।संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत की आबादी अपने एशियाई पड़ोसी की तुलना में 29 लाख ज्यादा होगी। हालांकि चीन की आबादी में उसके दो विशेष क्षेत्रों हांग-कांग और मकाऊ और ताइवान के आंकड़ों को शामिल नहीं किया गया है, जिसे चीन अपना हिस्सा बताता है।
जब 70 साल पहले रिकॉर्ड रखे जाने लगे तबसे चीन लगातार सबसे अधिक आबादी वाला देश बना रहा है, लेकिन वर्ल्ड पापुलेशन रिव्यू जैसी संस्थाओं का मानना है कि भारत की आबादी इस साल पहले ही चीन को पीछे छोड़ चुकी है।
हालांकि भारत की आबादी के आंकड़ों को लेकर असमंजस की स्थिति है क्योंकि साल 2011 के बाद से अब तक यहां जनगणना नहीं हुई है।
संयुक्त राष्ट्र में पापुलेशन एंड प्रोजेक्शन के प्रमुख पैट्रिक गेरलैंड ने बताया कि ‘भारत की वास्तविक आबादी के आंकड़े छिटपुट जानकारियों पर आधारित एक अनुमान है।’ गेरलैंड के मुताबिक, “ऐसा हो तो रहा है….लेकिन जो सूचनाएं हैं वो हमें सटीकता की गारंटी नहीं देतीं,” लेकिन भारत के लिए दुनिया में सबसे अधिक आबादी होने की अपनी जटिलताएं भी हैं। फिर भी संयुक्त राष्ट्र ये क्यों निश्चित नहीं कर पा रहा है कि भारत कब आबादी के मामले में नंबर वन हो जाएगा?
140 सालों में पहली बार जनगणना स्थगितसंयुक्त राष्ट्र के एक्सपर्ट के इस असमंजस के पीछे भारत में जनगणना के ताज़ा आंकड़ों का न होना सबसे बड़ा कारण है। देश में 1881 में पहली जनगणना हुई और इसके बाद हर दस साल में जनगणना होती रही। इन 140 सालों में प्रथम और द्वितीय विश्व युद्धों, बंगाल में आकाल, आजादी, पाकिस्तान और चीन के साथ दो युद्धों के दौरान भी जनगणना को स्थगित नहीं किया गया था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण 2021 की जनगणना को पहले 2022 तक और फिर आम चुनावों के कारण अब 2024 तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जनगणना में देरी के परिणामों को लेकर वे चिंतित हैं, क्योंकि इससे लोगों को कल्याणकारी योजनाओं से बाहर करने और बजट का अनुचित आवंटन जैसी विसंगतियों के उत्पन्न होने का खतरा है।
इन तीन सालों, अधिकांश भारतीयों को कोविड वैक्सीन लग चुकी है, कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हुए हैं और जन जीवन लगभग सामान्य हो चुका है, लेकिन बीते दिसंबर में, मोदी सरकार ने संसद को बताया कि “कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण, जनगणना 2021 और संबंधित क्षेत्र की गतिविधियों को अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।” इसके कुछ सप्ताह बाद, भारत के रजिस्ट्रार जनरल ने कहा कि प्रशासनिक स्तर पर सीमाओं की यथास्थिति बनाए रखने की समय सीमा इस वर्ष 30 जून तक बढ़ा दी गई है यानी जनगणना के दौरान राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जिलों, कस्बों और गांवों की सीमाओं में कोई बदलाव नहीं कर सकते हैं।
इस वजह से भी चीन जनंख्या में छूटा पीछे
जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए चीन ने 1979 में यह नीति लागू की, जिसके तहत एक से अधिक बच्चे पैदा करने पर रोक लगा दी गई. चीन ने 2016 में इस नीति को खत्म कर दो बच्चों की नीति लागू की थी. जानकारों के मुताबिक चीन की एक बच्चे की नीति की वजह से करीब 40 करोड़ बच्चे पैदा नहीं हो सके.
India Population 2023: … तो इसलिये भारत बना दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश
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