प्रयागराज: सनातन धर्म के अनुसार होने वाली शादियों में सात फेरों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विशेष टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि रीति रिवाजों के साथ हुए विवाह समारोह को ही कानून की नजर में वैध विवाह माना जा सकता है, अथवा शादी अमान्य कहलाएगी। कोर्ट ने कहा कि वर-वधु को अग्नि के समक्ष लिए गये सात फेरों को मान्यता दी जाएगी। बता दें कि हाइकोर्ट ने मिर्जापुर की स्मृति सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। जस्टिस संजय कुमार सिंह ने विशेष टिप्पणी करते हुए फैसला सुनाया।
आखिर क्या है पूरा मामला?
दरअसल, स्मृति सिंह की शादी 2017 में सत्यम सिंह के साथ हुई थी। रिश्तों में आई कुछ कड़वाहट की वजह से स्मृति ने ससुराल छोड़ दिया। स्मृति ने अपने ससुराल वालों पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। इसके लिए उसने FIR भी दर्ज कराई थी। पुलिस ने मामले की जांच के बाद पति और ससुरालवालों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इसके बाद सत्यम ने अपनी पत्नी पर दो विवाह का आरोप लगाते हुए बड़े पुलिस अधिकारियों को एप्लीकेशन लिखा।
इसके बाद अधिकारी सदर, मिर्जापुर ने एप्लीकेशन की जांच की और स्मृति के खिलाफ दो विवाह करने के आरोप झूठे पाए गए। सत्यम ने 20 सितंबर, 2021 को अपनी पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और आरोप लगाया कि उसने अपनी दूसरी शादी की स्वीकृति दे दी है। 21 अप्रैल 2022 को मिर्जापुर के मजिस्ट्रेट ने स्मृति को तलब किया था। इसके बाद स्मृति सिंह ने हाई कोर्ट का रुख किया, जिस पर हाई कोर्ट ने 5 अक्टूबर को यह फैसला सुनाया है।