

कोटा : झालावाड़ की एक अदालत ने खुफिया ब्यूरो (आईबी) के एक अधिकारी की हत्या के मामले में उसकी पत्नी, निलंबित पुलिसकर्मी और अन्य को दोषी करार देते हुए अलग-अलग अवधि की कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने राजस्थान पुलिस के निलंबित कर्मी को आजीवन कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई जबकि पीड़ित की पत्नी और एक अन्य दोषी को 14-14 वर्ष सश्रम कारावास की सजा दी।
अदालत ने एक अन्य आरोपी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। लोक अभियोजक दीपेश भारद्वाज ने बताया कि अदालत ने राठौर (35) और खान को साजिश, अपहरण और हत्या का दोषी ठहराया और उन्हें उम्रकैद की सजा के साथ एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने मीणा और निर्मल को षडयंत्र और हत्या का दोषी करार दिया और 14-14 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई। खुफिया ब्यूरो के नयी दिल्ली केंद्र में वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी के पद पर तैनात चेतन प्रकाश गालव की लाश फरवरी 2018 में झालावाड़ के रलायता स्थित रेलवे स्टेशन पर मिला था।
पुलिस ने शुरू में सीआरपीसी की धारा 174 (आत्महत्या आदि पर पुलिस द्वारा जांच और रिपोर्ट करना) के तहत मामला दर्ज किया था। हालांकि, अदालत ने अधिकारी के पिता ने हत्या की आशंका जताते हुए अदालत में याचिका दायर की थी। अदालत के आदेश पर पुलिस ने मामले की जांच की और इसे हत्या का मामला माना। पुलिस ने दावा किया कि मृतक की पत्नी एवं पेशे से सरकारी स्कूल में अध्यापिका अनीता मीणा ने पुलिस कर्मी और प्रेमी प्रवीण राठौर के साथ मिलकर हत्या की साजिश रची और आरटीओ एजेंट शारुख खान को तीन लाख रुपये में सुपारी दी। तीनों ने एक निजी मेडिकल नर्स संतोष निर्मल और एक अन्य आरोपी फरहान तथा एक नाबालिग लड़के के साथ मिलकर गालव की हत्या की योजना बनाई।