सांसद इंजीनियर रशीद की याचिका पर 25 मार्च को सुनवाई

जेल में बंद हैं सांसद इंजीनियर रशीद
सांसद इंजीनियर रशीद की याचिका पर 25 मार्च को सुनवाई
Published on

नयी दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने जेल में बंद जम्मू-कश्मीर के सांसद शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद की याचिका पर 25 मार्च को सुनवाई तय की है। याचिका में उन्होंने संसद के मौजूदा सत्र में शामिल होने की अनुमति मांगी है। न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह और न्यायमूर्ति अनूप जे भंभानी के पीठ ने मंगलवार को सुनवाई तब स्थगित कर दी जब एनआईए के वकील ने कहा कि बारामूला के निर्दलीय सांसद की नियमित जमानत याचिका पर निचली अदालत 19 मार्च को फैसला सुनाने वाली है। रशीद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि उन्हें सोमवार शाम को याचिका पर एनआईए का जवाब मिला।

रशीद पर 2017 के आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमा चल रहा है। उन्होंने 10 मार्च के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें 4 अप्रैल तक लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिए अभिरक्षा परोल या अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। एनआईए ने दलील दी कि रशीद को न तो अंतरिम जमानत दी जा सकती है और न ही अभिरक्षा परोल दी जा सकती है, क्योंकि हिरासत में रहते हुए उन्हें संसद सत्र में भाग लेने का कोई अधिकार नहीं है। एनआईए ने रशीद पर ‘फोरम शॉपिंग’ और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘निर्वाचन क्षेत्र की सेवा’ करने के उनके इरादे से संबंधित ‘अस्पष्ट कथनों’ के मद्देनजर उन्हें राहत देने का कोई वैध आधार नहीं है। ‘फोरम शॉपिंग’ एक ऐसा शब्द है, जिसका इस्तेमाल वादियों द्वारा अपने मामले की सुनवाई किसी खास अदालत में कराने के लिए किया जाता है, जिसके बारे में उन्हें लगता है कि उनके पक्ष में फैसला आने की सबसे अधिक संभावना है। इसमें कहा गया है, ‘केवल यह तथ्य कि अपीलकर्ता एक सांसद है, उसे न्यायिक हिरासत में होने के तथ्य से छूट का दावा करने का अधिकार नहीं देता है। कानून में यह अच्छी तरह से स्थापित है कि विधायकों/ सांसदों को संसद के सत्र में तब तक भाग लेने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है, जब तक कि वे वैध हिरासत में हैं।’ एनआईए ने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के समय, एक विशेष अदालत द्वारा रशीद के खिलाफ मामले में आरोप तय किए गए और मुकदमा चल रहा है। एनआईए ने कहा कि अभियुक्त को पता है कि वह यूएपीए के तहत दंडनीय गंभीर अपराधों के लिए न्यायिक हिरासत में है और इसलिए लोकसभा सदस्य के रूप में उसके चुनाव से कोई फर्क नहीं पड़ता। उसने कहा कि इसका इस्तेमाल वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को सेवाएं प्रदान करने की आड़ में अंतरिम जमानत पाने के साधन के रूप में नहीं कर सकते। रशीद को जम्मू कश्मीर में गवाहों को प्रभावित करने के लिहाज से एक ‘अत्यधिक प्रभावशाली’ व्यक्ति बताते हुए एनआईए ने कहा, ‘यूएपीए की धारा 43डी(5) के तहत रशीद को जमानत नहीं दी जा सकती है, यदि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि रशीद के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सत्य हैं।’ उसने कहा कि साथ ही अपील यूएपीए की धारा 43डी(5) के तहत निर्धारित दोहरे परीक्षणों को भी संतुष्ट नहीं करती है और तदनुसार, अपील खारिज किए जाने योग्य है। संसद सत्र में भाग लेने के लिए याचिकाकर्ता को आमंत्रित करने के वास्ते भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी किए गए समन को ‘नियमित औपचारिकता’ बताया गया, जो सभी सांसदों को भेजा गया था, न कि केवल रशीद को। एनआईए ने कहा कि रशीद की नियमित जमानत याचिका पर आदेश 19 मार्च को आया था और लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने के वास्ते अंतरिम जमानत के लिए उनकी पिछली याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था। 12 मार्च को, हाई कोर्ट ने रशीद की अपील पर एनआईए का रुख पूछा था।


संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in