इंडिगो संकट के लिए सरकार जिम्मेदारः एआर रहीम

तृणमूल सांसद ऋतब्रत बनर्जी ने राज्यसभा में बांग्ला में भाषण देकर खासकर तृणमूल के बाकी सांसदों का दिल जीत लिया।
इंडिगो एयरलाइंस
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सर्जना शर्मा

नई दिल्लीः इंडिगो एयरलाइंस का मुददा बुधवार को भी विपक्षी सांसदों ने उठाया। केरल के माकपा सांसद एआर रहीम ने कहा एयरलाइंस संकट के लिए सरकार जिम्मेदार है। शून्यकाल में रहीम ने कहा कि इंडिगो के किराए आसमान छू रहे हैं और सरकार ध्यान नहीं दे रही है। दिल्ली से त्रिवेंद्रम का टिकट 64000 रुपए का है ( वैसे सरकार ने किरायों की दूरी के हिसाब से सीमा तय कर रखी है )। रहीम ने कहा यदि सरकार एयरलाइंस को खुली छूट न देती तो इतना बड़े संकट से हवाई यात्रियों का सामना न होता।

जनता के प्रति जवाबदेही से बचती है सरकार – नदीमुल हक

आजकल टीएमसी के सांसद राज्यसभा में वंदे मातरम् जय हिंद का उद्घघोष जरूर करते हैं। नदीमुल हक ने शून्यकाल में सूचना के अधिकार का मामला उठाया। हक ने कहा ये सरकार सूचना मांगने पर कोई सूचना नहीं देती हैं। भारत के सूचना आयुक्त का पद लंबे समय से खाली है। वक्फ संशोधन विधेयक के बाद सरकार ने जो उम्मीद पोर्टल बनाया, वो ठीक से काम नहीं करता है। इसमें बहुत सारी कमियां हैं। हक ने कहा केंद्र सरकार देश की जनता के प्रति जवाबदेह होने से बचती है। टीएमसी सांसद कभी भी सदन में मूल विषय के अलावा मनरेगा का बकाया और एसआआर का मामला बीच में लाना नहीं भूलते। हक ने कहा केंद्र पश्चिम बंगाल का मनरेगा का 52 000 करोड़ रुपया नहीं दे रहा है, ये बंगाल के साथ अन्याय है।

भाजपा में हिम्मत है तो गुरुदेव टैगोर को भारत बंटवारे का जिम्मेदार बताए – ऋतब्रत बनर्जी

तृणमूल सांसद ऋतब्रत बनर्जी ने वंदे मातरम् पर बुधवार को राज्यसभा में चर्चा में हिस्सा लिया। उन्होंने अपना वक्तव्य बांग्ला भाषा में दिया। उन्होंने वंदे मातरम् गीत को बंगाल का गौरव बताया। ऋतब्रत ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि पता नहीं किसने सरकार को ये सलाह दे दी है इनको लगता है कि वंदे मातरत् कार्ड चला कर ये बंगाल का चुनाव जीत लेंगे। चर्चा का समय भी बंगाल चुनाव से ठीक पहले रखा गया है। भाजपा का बंगाल के साथ कोई भी सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक रिश्ता नहीं है। और भाजपा को समझना चाहिए कि बंगाल में बंटवारे की राजनीति नहीं चलती।

ऋतब्रत ने अपना वक्तव्य कुछ ऐसे लिखा था कि उसमें एसआईआर का मुद्दा भी शामिल कर लिया। उन्होंने कहा कि हमारे देश की कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है, सभी राज्यों की भाषाओं को समान दर्जा प्राप्त है। लेकिन बांग्लादेश की अपनी भाषा है, वो गुरु रनींद्रनाथ टैगोर, बंकिम चंद्र चटर्जी, जीबननंदा और नजरूल की भाषा है। मैं बांग्ला में अपनी स्पीच दे रहा हूं, तो क्या मुझ पर बांग्लादेशी होने का तमगा लगा दिया जाए।

ऋतब्रत ने अपना भाषण पूरी तरह बांग्ला संस्कृति, गौरव और भाषा पर केंद्रित रखा। उन्होंने टैगोर के एक गीत का उदाहरण दिया - हे प्रभु बंगाल की माटी, जल, वायु और फलों को आशीर्वाद दो। और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस गीत को राज्य का गीत बना दिया है। उन्होंने टैगोर के एकला चलो गीत का हवाला भी दिया और एक अन्य गीत – ऐ मेरे देश की माटी मैं तुझे सिर झुकाता हूं तेरे भीतर विश्व की मां का आंचल फैला हुआ है। ऋतब्रत ने बंगाल के कवियों की कविताओं का उदाहरण देते हुए कहा कि ये बंगाल का इतिहास है।

ऋतब्रत ने सरकार को चुनौती दी कि यदि उनमें हिम्मत है तो कहें कि रवींद्रनाथ टैगोर ने वंदे मातरम् गीत के पहले दो पैरा ही लेने का सुझाव दिया था। नेहरू ने नहीं बल्कि 1937 में कांग्रेस के अधिवेशन से पहले गुरुदेव ने कहा था कि केवल पहले दो पैरा ही लिये जाए। आप कहिए और फिर देखिए, आप बंगाल में चुनाव कैसे जीत पाते हो। और बंगाल के चुनाव से पहले 2026 में कहिए कि गुरुदेव टैगोर भारत विभाजन के लिए जिम्मेदार थे। फिर देखो 10 करोड़ बंगाली आपको क्या सबक सिखाते हैं। लगे हाथ ऋतब्रत ने ये भी कह दिया कि बंकिम चंद्र चटर्जी आपके साथ चाय के स्टाल पर बैठ कर चाय नहीं पीते थे, वे आपके दोस्त नहीं थे कि आप उनको बंकिम दा कह कर बुलाओ ( प्रधानमंत्री ने सोमवार को सदन में बंकिम दा कहा था )। भाजपा को बिना किसी शर्त के माफी मांगनी चाहिए।

ऋतब्रत ने वंदे मातरम्, जय हिंद, जय बंगला के साथ अपने भाषण का समापन किया। समापन होते ही टीएमसी के अनेक सांसद उनकी सीट पर पहुंचे और उनकी पीठ थपथपाई। इनमें नदीमुल हक, डेरेक ओ ब्रायन, सागरिका घोष और डोला सेन शामिल थे।

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