

कोलकाता : दिल्ली की सर्द रात में गुरुवार तड़के गोलियों की गूंज ने रोहिणी के बहादुर शाह मार्ग को हिला दिया। यह कोई फिल्मी सीन नहीं था — बल्कि बिहार के कुख्यात ‘सिग्मा गैंग’ के चार शातिर अपराधियों और दिल्ली-बिहार पुलिस की संयुक्त टीम के बीच हुई असली मुठभेड़ थी। सीतामढ़ी जिले के रहने वाले रंजन पाठक, बिमलेश महतो उर्फ बिमलेश साहनी, मनीष पाठक और अमन ठाकुर — चारों वो नाम थे जिनसे बिहार की गलियों में खौफ बसा था। हत्या, जबरन वसूली और चुनावी हिंसा की साजिश इन सबका ताना-बाना ये गैंग बुन रहा था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, ये अपराधी विधानसभा चुनावों से पहले बिहार लौटकर बड़ा “ऑपरेशन” चलाने की तैयारी में थे। लेकिन दिल्ली में ही इनकी कहानी खत्म हो गई। जब पुलिस ने दबिश दी, तो गैंग ने गोलियां बरसा दीं — जवाब में चली पुलिस की गोलियों ने इनका अध्याय वहीं समाप्त कर दिया।
गिरोह के सरगना रंजन पाठक पर ₹25,000 का इनाम था और आठ से अधिक आपराधिक मामलों में वह वांछित था। बिहार पुलिस से मिली खुफिया सूचना के बाद दिल्ली पुलिस ने जाल बिछाया और जैसे ही गिरोह बाहर निकला, कहानी खत्म हो गई। अब बिहार में चुनावी सरगर्मी के बीच इस मुठभेड़ ने नया संदेश दिया है — अपराध चाहे किसी भी राज्य की धरती पर जन्म ले, कानून की पहुंच उससे एक कदम आगे रहती है।