

वाशिंगटन : अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व एजेंट जॉन किरियाकू ने एक साक्षात्कार में भारत-पाकिस्तान को लेकर अमेरिका की नीतियों और बीते सालों इन दोनों देशों के बीच तनाव, 2008 मुंबई आतंकी हमला, 2001 भारतीय संसद पर हमला, तत्कालीन सेनाध्यक्ष/राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और परमाणु हथियारों को लेकर कई खुलासे किए हैं। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व एजेंट जॉन किरियाकू ने भारत-पाकिस्तान को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। साक्षात्कार में उन्होंने दावा किया कि अमेरिका अगर इजरायली तरीका अपनाता तो पाकिस्तान के न्यूक्लियर साइंटिस्ट एक्यू खान जिंदा नहीं होते। वहीं 2001 में जब भारतीय संसद पर आतंकी हमला हुआ और 2008 में मुंबई टेरर अटैक हुआ, उसके बाद सभी को लगा था कि भारत जरूर पाकिस्तान पर हमला करेगा। हालांकि, उस समय भारत ने रणनीतिक धैर्य का परिचय दिया। जो बेहद अहम है।
मुशर्रफ को दी थी करोड़ों डॉलर की मदद : किरियाकू ने कहा कि अमेरिका ने पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल में पाकिस्तान को करोड़ों डॉलर की मदद दी थी। जब मैं 2002 में पाकिस्तान में तैनात था, तो मुझे अनौपचारिक तौर पर बताया गया कि पेंटागन पाकिस्तानी परमाणु हथियारों को नियंत्रित करता है। मुशर्रफ ने यह नियंत्रण अमेरिका को इसलिए सौंप दिया था क्योंकि उसे इस बात का डर था कि परमाणु हथियार कहीं आतंकवादियों के हाथ लग जाएं।
अमेरिकी निशाने पर थे परमाणु वैज्ञानिक एक्यू खान : किरियाकू ने कहा कि अमेरिका पाकिस्तान के परमाणु बम के जनक अब्दुल कादिर खान को मारने की तैयारी में था, लेकिन सउदी अरब ने जब इस मामले में सीधे हस्तक्षेप किया तो उसे निशाना नहीं बनाया गया। किरियाकू ने कहा कि मेरा एक सहकर्मी एक्यू खान से जुड़ा हुआ था। अगर हमने इजरायल का तरीका अपनाया होता, तो हम उन्हें मार देते। एक्यू खान को सऊदी का भी समर्थन प्राप्त था। ऐसे में सऊदी की टीम हमारे पास आई और कहा कि कृपया उन्हें छोड़ दें। हम एक्यू खान को पसंद करते हैं। एक्यू खान का जन्म 1936 में भोपाल में हुआ था। 1952 में विभाजन के बाद वह अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे। 2021 में इस्लामाबाद में 85 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
भारत ने 'रणनीतिक धैर्य दिखाया : किरियाकू ने कहा कि 2001 में भारत के संसद पर हमला और 2008 में मुंबई आतंकी हमले के बाद अमेरिका को उम्मीद थी कि भारत पाकिस्तान पर हमला कर देगा लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि सीआईए में हम भारतीय नीति को 'रणनीतिक धैर्य' कहते थे। तत्कालीन सरकार के पास पाकिस्तान पर हमला करके जवाब देने का पूरा अधिकार था, और उन्होंने ऐसा नहीं किया। सीआईए के पूर्व एजेंट ने कहा कि उस समय मुझे याद है कि व्हाइट हाउस में लोग कह रहे थे, सच में भारत सरकार असल में बेहद परिपक्व विदेश नीति का प्रदर्शन कर रही है। अगर उस समय भारत जवाबी कार्रवाई करते हुए हालात बिगड़ भी सकते थे। भारत के इस कदम ने दुनिया को उस चीज से बचाया जब शायद परमाणु वॉर के हालात हो सकते थे।
आतंकी लादेन को लेकर खुलासा : किरियाकू ने खुलासा किया है कि 9/11 आतंकी हमले का जिम्मेदार और अल कायदा का लीडर ओसामा बिन लादेन तोरा बोरा की पहाड़ियों से महिलाओं के कपड़े पहनकर भागा था। किरियाकू ने बताया कि अक्टूबर 2001 में हमें लगा कि हमने बिन लादेन और अल-कायदा के नेताओं को तोरा बोरा में फंसा लिया है। हम उन्हें पहाड़ी से उतरने के लिए कह रहे थे। ट्रांसलेटर ने जनरल फ्रैंक्स को आश्वस्त किया कि उन्हें सुबह तक इंतजार करने दिया जाए ताकि महिलाएं और बच्चे सुरक्षित बाहर निकल सकें। उसी दौरान बिन लादेन महिलाओं के कपड़े पहनकर पिक-अप ट्रक में पाकिस्तान भाग गया था। बाद में मई 2011 में अमेरिका ने गुप्ता अभियान के तहत पाकिस्तान के एबटाबाद जाकर लादेन को मार गिराया।