

नूंह : ‘व्हाइट कॉलर टेररिज्म’ का एक और मामला अब सामने आया है। हरियाणा के नूंह जिले से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार एडवोकेट रिजवान की गिरफ्तारी ने एक बड़े आतंकवादी फंडिंग नेटवर्क को बेनकाब किया है। पुलिस और केंद्रीय जांच एजेंसियां गहनता से इस मामले की जांच कर रही हैं। उन्हें आशंका है कि विदेशी हैंडलरों (पाकिस्तानी) ने रिजवान के बैंक खातों में भारी-भरकम राशि भेजी, जिसका मुख्य उद्देश्य पंजाब और उसके सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकवादी नेटवर्क को मजबूत करना था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, रिजवान द्वारा जालंधर के मिठाई कारोबारी अजय अरोड़ा को 30-35 लाख रुपये दिए जाने के सबूत मिले हैं। इस रकम का लेन-देन हवाला के माध्यम से हुआ था और यह पंजाब में आतंकी गतिविधियों पर खर्च होनी थी। अजय अरोड़ा से इस रकम की रिकवरी करने के प्रयास किए जा रहे हैं। नूंह पुलिस रिजवान को लेकर पंजाब भी गयी है। रिजवान का कई बार पंजाब जाना और मुस्लिम समुदाय से होने के बावजूद अमृतसर के गोल्डन टेंपल की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करना भी जांच एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण संकेत हैं।
8 दिन की पुलिस रिमांड पर
सरकारी एडवोकेट विजय सहरावत ने पुष्टि की कि रिजवान और अजय अरोड़ा दोनों 8 दिन की पुलिस रिमांड पर हैं। कोर्ट में तावड़ू DSP अभिमन्यु ने बताया कि दोनों के सीधे कनेक्शन पाकिस्तान से हैं। अजय अरोड़ा से 30-35 लाख रुपये की रिकवरी करनी है। अजय अरोड़ा ने यह रकम एक ऐसे कारोबारी को दी थी, जो वर्तमान में विदेश में है। पुलिस अजय अरोड़ा के संपर्क में रहने वाले अन्य लोगों से भी पूछताछ कर रही है, ताकि हवाला के पूरे चैनल का पता लगाया जा सके। रिजवान और अजय अरोड़ा पर गंभीर धाराएं लगाई गई हैं।
सीनियर एडवोकेट अंजू रावत नेगी ने इस मामले को देश की सुरक्षा के लिए एक खतरनाक ट्रेंड बताते हुए गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि पहले डॉक्टर्स और अब एक वकील का पाकिस्तानी हैंडलर से जुड़े होना बेहद चिंताजनक है। अंजू रावत नेगी ने घोषणा की है कि वे गुरुग्राम बार एसोसिएशन की अगली मीटिंग में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगी। उन्होंने मांग की कि कोर्ट परिसर में बैठने वाले हर व्यक्ति की पृष्ठभूमि की गहन जांच होनी चाहिए।
गुरुग्राम व सोहना कोर्ट में प्रैक्टिस :
मोहम्मद रिजवान खान (28) नूंह के गांव खरखड़ी का रहने वाला है और गुरुग्राम तथा सोहना कोर्ट में प्रैक्टिस करता था। उसे नूंह पुलिस ने 24 नवंबर को गिरफ्तार किया था। उसके फोन से वॉट्सऐप चैट्स, कॉल डिटेल और डिजिटल सबूत मिले हैं, जो पाकिस्तानी हेंडलर्स से उसके संपर्क की पुष्टि करते हैं। उस पर ISI के लिए जासूसी, हवाला चैनलों से धनराशि भारत लाना और संवेदनशील जानकारी साझा करने के आरोप लगे हैं। यह मेवात क्षेत्र में इस साल जासूसी करने को लेकर तीसरी ऐसी गिरफ्तारी है। रिजवान के परिवार ने हालांकि सभी आरोपों को खारिज किया है, लेकिन जांच एजेंसियां लगातार डिजिटल सबूतों के आधार पर कार्रवाई कर रही हैं।
गुरुग्राम बार एसोसिएशन के वकीलों ने रिजवान के व्यवहार को लेकर कई अहम जानकारियां दीं, जो उसके संदिग्ध होने की पुष्टि करती हैं। रिजवान एक वकील के माध्यम से एक सीनियर एडवोकेट के पास आया था, लेकिन वह केवल एक सप्ताह ही चैंबर में आया और फिर आना बंद कर दिया। वह कभी बैठकर अपना काम नहीं करता था, बस कभी-कभार ही दिखाई देता था। साथी वकीलों ने बताया कि रिजवान का स्वभाव बेहद शांत था, लेकिन वह दूरी बनाकर रखता था और किसी से ज्यादा घुलता-मिलता नहीं था। गो-रक्षा, सनातन धर्म या हिंदुत्व से जुड़ी किसी भी चर्चा के दौरान वह चुप हो जाता था या तुरंत विषय बदल देता था। वह अपने साथियों को कॉल भी नहीं करता था और केस से संबंधित चर्चा भी मुलाकात के दौरान ही करता था। वह किस तरह के केस लेता था, इसकी जानकारी भी किसी को नहीं थी। वकीलों को इसी बात से सबसे ज्यादा शक हो रहा था कि वह कोर्ट की आंतरिक जानकारियां बाहर साझा कर रहा था।
पड़ोसी वकील को पाक से मिली जान मारने की धमकियां
इस मामले की गंभीरता तब कई गुना बढ़ गयी जब पता चला कि गुरुग्राम कोर्ट में रिजवान के बगल के चैंबर में प्रैक्टिस करने वाले सीनियर एडवोकेट कुलभूषण भारद्वाज को पाकिस्तान से जान से मारने की धमकियां मिली थीं। उन्हें तीन बार धमकियां मिलने के बाद गुरुग्राम पुलिस की ओर से SWAT कमांडो की सुरक्षा दी गयी है। भारद्वाज ने रिजवान के स्लीपर सेल होने का संदेह जताते हुए कहा कि पहले शक कोर्ट परिसर में मौजूद कुछ स्थानीय लोगों या चपरासियों पर गया था, लेकिन रिजवान की गिरफ्तारी के बाद यह साफ हो गया है कि धमकियों के पीछे उसी का हाथ हो सकता है, क्योंकि वह उनके चैंबर के पास बैठता था और उनकी हर गतिविधि की जानकारी उसे थी।
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