

कोहिमा : नगालैंड में आरक्षण नीति समीक्षा पर पांच-जनजाति समिति (सीओआरआरपी) ने वर्तमान आरक्षण नीति और नवगठित समीक्षा आयोग के गठन के विरोध में स्वतंत्रता दिवस समारोह सहित राज्य सरकार के सभी कार्यक्रमों का बहिष्कार करने की घोषणा की है।
कोहिमा में अंगामी, आओ, लोथा, रेंगमा और सेमा जनजातियों की तीन घंटे की बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया। सीओआरआरपी के संयोजक टेसिनलो सेमी ने आयोग में नागरिक समाज संगठनों को शामिल करने के सरकार के कदम की आलोचना की और इसे निष्पक्षता के लिए खतरा बताया। उन्होंने कहा कि निष्पक्ष मूल्यांकन के लिए समीक्षा समिति में केवल सरकारी अधिकारी या तटस्थ नौकरशाह ही शामिल होने चाहिए। सीओआरआरपी के सदस्य सचिव जीके झिमोमी ने स्पष्ट किया कि समिति ने समीक्षा आयोग की मांग नहीं की थी, बल्कि राज्य सरकार के साथ 3 जून की बैठक के दौरान उन्हें इसके गठन की जानकारी दी गयी थी। उन्होंने राज्य के इस दावे का भी खंडन किया कि उन्नत जनजातियों के पास 64% सरकारी नौकरियां हैं। उन्होंने कहा कि सीओआरआरपी के अपने आंकड़े (जो बाद में जारी किए जाएंगे) इसके विपरीत दर्शाते हैं। हालांकि राज्य ने पिछड़े कोटे से लाभान्वित जनजातियों के साथ परामर्श का सुझाव दिया है, लेकिन सीओआरआरपी का कहना है कि इस तरह की बातचीत सरकार की जिम्मेदारी है। जीके झिमोमी ने चेतावनी दी कि आयोग के निष्कर्षों को राष्ट्रीय जनगणना के परिणामों से जोड़ने का कोई भी प्रयास और अधिक विरोध को जन्म दे सकता है। झिमोमी ने कहा, ‘यह बहिष्कार नहीं है, बल्कि गैर-भागीदारी का एक सचेत निर्णय है।’ यह विवाद राज्य की 37% नौकरी आरक्षण नीति से उपजा है- पूर्वी नगालैंड की जनजातियों के लिए 25% और अन्य पिछड़ी जनजातियों के लिए 12% - जिसके बारे में पांच जनजातियों का तर्क है कि यह अब वर्तमान सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को प्रतिबिंबित नहीं करती है। कई जिलों में हाल के विरोध प्रदर्शनों ने नीति संशोधन की मांग को और बढ़ा दिया है। नगालैंड सरकार ने अभी तक बहिष्कार की घोषणा पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।