संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष विशेषज्ञ पेश हुए

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संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष विशेषज्ञ पेश हुए
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नयी दिल्ली : भारतीय विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष ऋतुराज अवस्थी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने संबंधी दो विधेयकों का अध्ययन कर रही संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष मंगलवार को पेश हुए। समिति ने विशेषज्ञों और हितधारकों से परामर्श करना शुरू कर दिया है। उच्चस्तरीय कोविंद समिति के सचिव आईएएस अधिकारी नितेन चंद्रा ने भी समिति के साथ अपने विचार साझा किये।
भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश यू यू ललित के भी दिनभर चलने वाली इस बैठक के दौरान समिति के समक्ष उपस्थित होने की सूचना है, वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कांग्रेस के पूर्व सांसद ईएम सुदर्शन नचियप्पन भी समिति के समक्ष अपने विचार साझा करेंगे। नचियप्पन ने 2015 में एक साथ चुनाव कराने की वकालत करने वाली संसदीय समिति की अध्यक्षता की थी।
25 फरवरी की बैठक के लिए संसदीय समिति के एजेंडे को संक्षेप में ‘कानूनी विशेषज्ञों के साथ बातचीत’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में मोदी सरकार ने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ (ओएनओई) पर उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था और इसने अपनी रिपोर्ट में इस अवधारणा का जोरदार समर्थन किया था। इसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया और सरकार ने लोकसभा में दो विधेयक पेश किये, जिनमें से एक संविधान संशोधन विधेयक भी था। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद एवं पूर्व कानून मंत्री पी पी चौधरी की अध्यक्षता में 39 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति गठित की थी।
संसदीय समिति ने मंगलवार की बैठक को छोड़कर अब तक दो बैठकें की हैं, जिनमें अपने एजेंडे का व्यापक विवरण तैयार किया है और परामर्श के लिए हितधारकों और विशेषज्ञों की सूची दी गयी है।

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