
नयी दिल्ली : कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर एक और बड़ा हमला करते हुए गुजरात के दाहोद में सीमेंस कंपनी को दिए गए 26,000 करोड़ रुपये के लोकोमोटिव अनुबंध पर संसदीय जांच की मांग की है।
कांग्रेस ने इसे ‘मेक इन इंडिया’ की आड़ में ‘असेंबल इन इंडिया’ बताते हुए गंभीर अनियमितताओं और हितों के टकराव का मामला करार दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता व पूर्व सांसद बृृजेंद्र सिंह ने सोमवार को मीडिया से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 मई को जिस लोकोमोटिव प्लांट का उद्घाटन किया, वह असल में सिर्फ ‘असेंबली प्लांट’ है, न कि मैन्युफैक्चरिंग प्लांट। प्रवक्ता ने कहा कि मौजूदा रेल मंत्री राजनीति में आने से पहले सीमेंस इंडिया में वाइस प्रेसिडेंट थे। ऐसे में सीमेंस को रेलवे का अब तक का सबसे बड़ा ठेका मिलना क्या एक महज संयोग है? वहीं कांग्रेस ने मांग की कि इस पूरे मामले पर संसद की एक जांच समिति बनाई जाए ताकि पारदर्शिता आ सके। पार्टी ने पूछा कि आखिर 26 हजार करोड़ खर्च करने के बाद भी भारत अपने ही इंजनों के अहम हिस्से क्यों नहीं बना पा रहा? कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए थे कि दाहोद में 9,000 हॉर्स पावर वाले इंजनों का निर्माण होगा और हजारों नौकरियां पैदा होंगी, लेकिन असलियत में वहां सिर्फ बनी बनाई मशीनें जोड़ने और टेस्ट करने का काम होगा। असली मैन्युफैक्चरिंग तो सीमेंस की नासिक, औरंगाबाद और मुंबई की यूनिट्स में होगी। कांग्रेस का सवाल था कि अगर मैन्युफैक्चरिंग नहीं हो रही तो फिर भारतीय रेल इंजीनियरों की ट्रेनिंग, तकनीकी ज्ञान और ‘मेक इन इंडिया’ का वादा कहां गया? बृृजेंद्र सिंह ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि इसे अंग्रेजी में स्क्रू ड्राइवर टेक्नोलॉजी कहा जाता है, यानी केवल असेंबली। ठीक वैसे ही जैसे एपल मोबाइल्स के लिए भारत में काम होता है। वहीं दूसरी ओर बृृजेंद्र सिंह ने सीमेंस को यह ठेका दिए जाने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि इस 26,000 करोड़ रुपये के टेंडर में किन कंपनियों ने हिस्सा लिया, इसका खुलासा क्यों नहीं किया गया? क्या बॉम्बार्डियर या आल्सटॉम जैसी कंपनियों ने इसमें बिड डाली थी या नहीं? कांग्रेस ने बड़ा आरोप हितों के टकराव को लेकर लगाया है।