दिल्ली हाईकोर्ट से CM अरविंद केजरीवाल को झटका, अभी जेल में ही रहेंगे | Sanmarg

दिल्ली हाईकोर्ट से CM अरविंद केजरीवाल को झटका, अभी जेल में ही रहेंगे

नई दिल्ली: शराब घोटाला केस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देने का निचली अदालत का फैसला रद्द कर दिया है। यानी केजरीवाल अभी जेल में ही रहेंगे। जस्टिस सुधीर कुमार जैन की पीठ ने राउज एवेन्यू कोर्ट के फैसले पर रोक बरकरार रखी है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई शुरू करते हुए कहा कि निचली अदालत की अवकाशकालीन पीठ ने केजरीवाल को जमानत देते समय अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने कहा हमने दोनों पक्षों को सुना है लेकिन निचली अदालत ने ईडी के दस्तावेजों पर गौर नहीं किया। निचली अदालत ने PMLA की धारा 45 की दोहरी शर्तों पर गौर नहीं किया।

निचली अदालत पर हाईकोर्ट सख्त

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ED की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजू ने मुद्दा उठाया कि निचली अदालत ने अपने आदेश में कहा था की इतने दस्तावेज पढ़ना संभव नहीं था। इस तरह की टिप्पणी पूरी तरह से अनुचित थी और ये दर्शाती है कि ट्रायल कोर्ट ने रिकॉर्ड पर अपना ध्यान नहीं दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि केजरीवाल को चुनावों के मद्देनजर पहले जमानत दी गई थी। उनकी गिरफ्तारी की याचिका को हाईकोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के बाद ये नहीं कहा जा सकता कि उनकी स्वतंत्रता का हनन किया गया है। दरअसल, इससे पहले निचली अदालत ने इस मामले में केजरीवाल को जमानत दी थी, जिस पर बाद में हाईकोर्ट ने 25 जून तक फैसला आने तक रोक लगा दी थी।

निचली अदालत ने दी थी एकतरफा जमानत

ED ने केजरीवाल की जमानत पर रिहाई के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। ईडी का कहना है कि निचली अदालत ने एकतरफा तरीके से केजरीवाल को जमानत दी थी। ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी थी कि निचली अदालत का आदेश एकतरफा और गलत है, जो अप्रासंगिक तथ्यों पर आधारित है। निचली अदालत ने तथ्यों पर विचार ही नहीं किया। जमानत रद्द करने के लिए इससे बेहतर मामला नहीं हो सकता। ईडी ने अपनी एसएलपी में कहा है कि जांच के महत्वपूर्ण पड़ाव पर केजरीवाल को रिहा करने से जांच पर असर पड़ेगा क्योंकि केजरीवाल मुख्यमंत्री जैसे अहम पद पर हैं।

केजरीवाल को पहली बार 10 मई को मिली थी जमानत

सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को 10 मई को अंतरिम जमानत मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को चुनाव प्रचार करने के लिए एक जून तक की अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। इसके बाद उन्होंने 2 जून को सरेंडर कर दिया था। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। दिल्ली के कथित शराब घोटाले में केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था।

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क्या है दिल्ली शराब घोटाला ?

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को एक्साइज पॉलिसी 2021-22 को लागू किया था। नई पॉलिसी के तहत शराब कारोबार से सरकार बाहर आ गई और पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई थीं। दिल्ली सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी।

हालांकि, ये नीति शुरू से ही विवादों में रही और जब बवाल ज्यादा बढ़ गया तो 28 जुलाई 2022 को सरकार ने इसे रद्द कर दिया। कथित शराब घोटाले का खुलासा 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से हुआ था। इस रिपोर्ट में उन्होंने मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए थे। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।

इसके बाद सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को केस दर्ज किया। इसमें पैसों की हेराफेरी का आरोप भी लगा इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया। मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया पर गलत तरीके से शराब नीति तैयार करने का आरोप लगाया था। मनीष सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी था। आरोप लगाया गया कि नई नीति के जरिए लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।

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