जब गीतों में बहते आँसू

चीन के मियाओ समुदाय की 'रोती हुई दुल्हन' की विरासत
Bride of Miao Community, Hunan Province
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हुनान प्रांत: शादी के बाद दुल्हन की विदाई लगभग सभी देशो में एक बेहद भावुकपूर्ण पल होता हैं। लेकिन यह विश्वास करना कठिन होगा कि एक दुल्हन अपनी शादी के बारे में सोचते हुए, अपने परिवार, माता-पिता को पीछे छोड़ने की ख्याल से एक महीने तक रो सकती है, आंसू बहा सकती है।

आँसुओं में बुनती विदाई की अनोखी धुन

ज़रा सोचिये, चीन के हुनान प्रांत में स्थित गुइझोउ की एक पहाड़ी घाटी, जहाँ वसंत के फूल खिल रहे हैं और मियाओ गाँव की गलियों में बाँसुरी की धुन के बीच तैयार हो रही है एक दुल्हन — जो मुस्कराने के बजाय गा रही है उदासी भरा गीत, साथ ही रो रही है। रो रही है एक महीने तक। यह सचमुच आँसुओं में बुनती विदाई की एक अनोखी धुन हैं। दुल्हन के कमरे में सजी दीवारों के बीच, बैठी हैं युवती—अपने बालों में चाँदी के आभूषणों की झनकार और आँखों में विदाई का पानी लिए। वो धीरे-धीरे एक गीत गाती है:

“माँ, तेरे आँचल की छाया अब पराई होगी,

तेरे हाथ की रोटी अब सपना बन जाएगी…” (चीनी से अनुवादित)

अब धीरे-धीरे उसकी माँ भी शामिल होती है। फिर बहनें, फिर बुआ, चाची, नानी। यह रुदन अब एक संगीतात्मक करुणा में बदल चुका है। इतना ही नहीं, मियाओ लड़की अपनी आँसूओ को सूखने नहीं देती। प्राचीन परंपरा के अनुसार अपने आँसुओ को एक खास कटोरी में जमा करती हैं। उनका मानना हैं जो जितना आँसू बहायेगा, उतना ही सुख आने वाले भविष्य में उसकी नसीब में होंगी, यानि जितना आँसू - उतना ही सुख। यह सुनकर हैरान होना लाज़मी हैं, लेकिन सच तो यह हैं कि यह रोना सिर्फ एक नाटकीयता नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक कथन है—मिठास भरी पीड़ा की भाषा।

क्यों एक महीने तक रोती है दुल्हन?

मियाओ संस्कृति में शादी सिर्फ एक बंधन नहीं, एक विदाई की घड़ी भी है। यह विदाई उस दुनिया से है जिसमें लड़की पली-बढ़ी, और एक नई दुनिया में प्रवेश है, जहाँ उसे अब एक नई भूमिका निभानी है। रोना केवल दुःख नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक है — जिसमें एक बेटी अपनी पहचान से विदा ले रही होती है। साथ ही हो रहा हैं आंसुओं के बीच एक कविता, जीवन चेतना का जन्म। लोकगीत इस रस्म की आत्मा हैं। कुछ गीतों में सास की कठोरता की कल्पना है, कुछ में पिता के मूक प्रेम की पीड़ा। जैसा की -

“बाबा, तुमने कुछ कहा नहीं, मगर मेरी आँखों में सब भर दिया,

अब मैं कैसे कहूँ कि तुम्हारी चुप्पी ही मेरा आशीर्वाद है?” (चीनी से अनुवादित)

ये गीत पीढ़ियों से मुँहज़बानी सिखाए जाते हैं, और हर लड़की उसमें अपने अनुभव का सुर जोड़ देती है।

समय के साथ बदलती धुन

बता दे की आज के शहरी मियाओ युवा इस परंपरा को आधुनिक संदर्भ में ढाल रहे हैं। कुछ दुल्हनें सोशल मीडिया पर 'क्राइंग रिचुअल' के वीडियो अपलोड कर रही हैं — जहाँ आँसू असली हैं, लेकिन मंच डिजिटल है। कई घरों में इसे अब 'स्मृति गीत' की तरह गाया जाता है — कम रुदन, ज़्यादा स्मरण। पहले जो रुदन एक महीने तक चलती थी, आज वह घटकर सात दिनों तक सिमट गयी हैं।

मियाओ समुदाय की यह परंपरा हमें बताती है कि आँसू केवल दुःख का प्रतीक नहीं, बल्कि संस्कृति का जीवंत दस्तावेज़ हो सकते हैं। "रोती हुई दुल्हन" की ये गीतमय विदाई, स्त्री की संवेदनशीलता, शक्ति और सामाजिक समझदारी का ऐसा रूप है, जो शायद दुनिया की किसी और शादी में देखने को नहीं मिलता।

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