नगालैंड में IAS नियुक्तियों को लेकर बढ़ा विवाद

JCC की ‘कलम बंद – काम बंद’ हड़ताल तेज
कलम बंद हड़ताल में शामिल कर्मचारी
कलम बंद हड़ताल में शामिल कर्मचारी
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पारदर्शिता और योग्यता की मांग पर अडिग सरकारी कर्मचारी संघ

दीमापुर : नगालैंड की प्रशासनिक व्यवस्था में इन दिनों भारी उथल-पुथल मची हुई है। राज्य के विभिन्न सरकारी कर्मचारी संघों की संयुक्त समन्वय समिति (Joint Coordination Committee – JCC) ने आईएएस (Indian Administrative Service) की भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं, भाई-भतीजावाद और राजनीतिक हस्तक्षेप के विरोध में चल रही “कलम बंद – काम बंद” हड़ताल को और तेज करने की घोषणा की है।

यह हड़ताल अब अपने 12वें दिन में प्रवेश कर चुकी है और राज्य के प्रशासनिक ढांचे को बुरी तरह प्रभावित कर चुकी है। लेकिन, JCC का कहना है कि सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है, जिससे कर्मचारियों में गहरे असंतोष और अविश्वास की भावना पैदा हो गई है।

हड़ताल की पृष्ठभूमि : IAS भर्ती पर विवाद कैसे शुरू हुआ

इस विवाद की जड़ें 10 मार्च 2025 को जारी उस रिक्ति परिपत्र (vacancy circular) से जुड़ी हैं, जिसमें राज्य सिविल सेवा से IAS कैडर में प्रोमोशन के लिए चयन का प्रस्ताव था।
नियमों के अनुसार, राज्य सिविल सेवा से आईएएस के लिए चयन योग्यता, वरिष्ठता और अखंडता के आधार पर किया जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर राज्य सरकार, नगालैंड लोक सेवा आयोग (NPSC) और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के बीच समन्वय से पूरी होती है।

लेकिन JCC का आरोप है कि इस बार चयन प्रक्रिया में राजनीतिक दबाव और नौकरशाही के पक्षपातपूर्ण रवैये के कारण योग्य अधिकारियों को दरकिनार कर गैर-नगालैंड उम्मीदवारों को “पैनल सूची” में शामिल किया गया- जिससे पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल उठ गए हैं।

JCC का आरोप : ‘प्रक्रिया पर राजनीति का साया’

JCC के मीडिया प्रकोष्ठ द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया —

“यह सुरक्षित रूप से माना जा सकता है कि राजनीतिक प्रतिष्ठान चयन प्रक्रिया में गहराई से शामिल है। यह आईएएस भर्ती योग्यता के बजाय हेरफेर और पक्षपात से प्रेरित प्रतीत होती है। प्रक्रियागत त्रुटियों के बावजूद नौकरशाही को केवल बलि का बकरा बनाया गया है, जबकि वास्तविक निर्णय राजनीतिक हितों से संचालित हैं।”

विज्ञप्ति में यह भी कहा गया कि यह मामला केवल कुछ व्यक्तियों का नहीं, बल्कि राज्य प्रशासनिक सेवा की गरिमा और भविष्य की पारदर्शिता से जुड़ा हुआ है।

JCC में कौन-कौन शामिल हैं

JCC में नगालैंड के कई प्रमुख सरकारी कर्मचारी संगठन शामिल हैं, जिनमें —

  • All Nagaland Government Drivers Association (ANGDA)

  • Nagaland Civil Secretariat Drivers Association (NCSDR)

  • All Nagaland Directorate & District Government Drivers Union (ANDDGD)

  • Nagaland Civil Secretariat Fourth Class Employees Association (NCSFCEA)

इन संगठनों ने 19 अक्टूबर को हुई बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि हड़ताल को “अगले चरण” में ले जाया जाएगा, क्योंकि सरकार ने अब तक कोई संवाद या समाधान नहीं दिया है।

हड़ताल का स्वरूप और असर

JCC की “कलम बंद – काम बंद” हड़ताल के चलते

  • राज्य सचिवालय में कामकाज लगभग ठप हो गया है,

  • कई जिला कार्यालयों में फाइलें लंबित पड़ी हैं,

  • परिवहन विभाग, वित्त, शिक्षा और ग्रामीण विकास विभाग जैसे प्रमुख कार्यालयों में भी कार्य बाधित है।

हड़ताल कर रहे कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन राज्यव्यापी प्रदर्शन में बदल जाएगा।

JCC की मांगें

JCC ने सरकार के समक्ष निम्नलिखित प्रमुख मांगें रखी हैं —

  1. 10 मार्च 2025 के रिक्ति परिपत्र को पुनः बहाल किया जाए।

  2. गैर-नगालैंड लोक सेवा आयोग (NPSC) उम्मीदवार को पैनल सूची से हटाया जाए।

  3. यदि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बहाल की जा सकती, तो पूरी पैनल सूची को रद्द किया जाए।

  4. भविष्य में IAS चयन के लिए “स्पष्ट और निष्पक्ष प्रक्रिया लागू की जाए, जिसमें कोई राजनीतिक हस्तक्षेप न हो।

JCC का कहना है कि वे लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन चला रहे हैं, लेकिन सरकार की निष्क्रियता उन्हें “कठोर कदम” उठाने को मजबूर कर रही है।

राज्य सरकार अब तक मौन

हालांकि नगालैंड सरकार ने अब तक JCC की मांगों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, राज्य प्रशासन इस मुद्दे पर “UPSC और गृह मंत्रालय से कानूनी सलाह” ले रहा है। फिर भी, कर्मचारियों के बीच यह भावना मजबूत हो रही है कि सरकार “जानबूझकर” मामले को खींच रही है ताकि राजनीतिक रूप से नियुक्त उम्मीदवारों को बचाया जा सके।

पारदर्शिता बनाम राजनीति : बड़ा सवाल

नगालैंड जैसे छोटे राज्य में IAS कैडर की सीटें बेहद सीमित हैं - औसतन हर 3–4 वर्षों में केवल कुछ पद ही रिक्त होते हैं। ऐसे में किसी एक पद की नियुक्ति में पक्षपात या बाहरी हस्तक्षेप का आरोप पूरे तंत्र की विश्वसनीयता को प्रभावित करता है।
राज्य के कई वरिष्ठ सिविल सेवकों का मानना है कि यह मामला केवल IAS चयन का नहीं, बल्कि स्थानीय प्रतिभा और राज्य स्वायत्तता के अधिकार से जुड़ा हुआ है।

JCC की चेतावनी: आंदोलन जारी रहेगा

JCC ने दो टूक कहा है -

“हमारा लोकतांत्रिक आंदोलन चरणबद्ध रूप से तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार पारदर्शिता और योग्यता की बहाली नहीं करती। यदि आवश्यक हुआ, तो हम राजधानी को ठप करने का आह्वान करेंगे।”

समिति ने सभी राज्य कर्मचारियों से एकजुट होकर आंदोलन में भाग लेने की अपील की है और स्पष्ट किया है कि यह “कर्मचारियों का नहीं, बल्कि न्याय का संघर्ष” है।

नगालैंड प्रशासनिक तंत्र के लिए परीक्षा की घड़ी

नगालैंड में आईएएस नियुक्तियों को लेकर उठा यह विवाद राज्य की संविधानिक और नैतिक प्रशासनिक प्रणाली के लिए एक कठिन परीक्षा बन गया है।
एक ओर सरकार को योग्यता और निष्पक्षता की प्रतिष्ठा बनाए रखनी है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दबाव और नौकरशाही की अंदरूनी खींचतान से पार पाना है। यदि यह संकट शीघ्र नहीं सुलझा, तो यह केवल IAS भर्ती विवाद नहीं रहेगा — बल्कि नगालैंड में शासन, पारदर्शिता और कर्मचारी-राज्य संबंधों के भविष्य पर गहरा असर डाल सकता है।

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