नाबालिग के यौन उत्पीड़न मामले में निलंबित अधिकारी पर आरोप बरकरार

पूर्व अधिकारी की पत्नी भी अपराध में साझेदार
प्रतीकात्मक तस्वीर
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नयी दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी प्रेमोदय खाखा के खिलाफ एक नाबालिग लड़की से कई बार दुष्कर्म करने के आरोपों को रद्द करने से इनकार कर दिया है।

प्रेमोदय खाखा पर एक नाबालिग लड़की से कई बार दुष्कर्म करने का आरोप है। हाई कोर्ट ने अधिकारी की पत्नी सीमा रानी के खिलाफ नाबालिग लड़की का गर्भपात कराने और सबूत मिटाने के आरोपों को भी बरकरार रखा है। कोर्ट ने अपराध की जानकारी होने के बावजूद सूचना नहीं देने के लिए उसके 2 बच्चों और पत्नी के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा 21 के तहत लगाए गए आरोप को खारिज करने से भी इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति स्वर्ण काना शर्मा ने पारित फैसले में कहा, ‘इस अदालत का मानना है कि सेशन कोर्ट द्वारा याचिकाकर्ता प्रेमोदय खाखा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (2) (एफ), 376 (3), 323 और 354 तथा पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 और 8 के तहत आरोप तय करने के आदेश में कोई विकृति या कानूनी खामी नहीं है।’ प्रेमोदय पर आरोप है कि उसने एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म किया, जबकि प्रेमोदय कथित तौर पर उस लड़की का रिश्तेदार था या वह ऐसी स्थिति में था जहां लड़की उस पर भरोसा करती थी। प्रेमोदय ने दलील दी थी कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों को रद्द कर दिया जाना चाहिए या उसे इस आधार पर बरी कर दिया जाना चाहिए कि वह पूर्व में कराई गयी नसबंदी के कारण पीड़िता को गर्भवती करने में कथित रूप से असमर्थ है। प्रेमोदय की इस दलील को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा, ‘इस संबंध में सेशन कोर्ट ने सही टिप्पणी की है कि मात्र नसबंदी कराने के तथ्य से यह निर्णायक रूप से स्थापित नहीं होता कि अभियुक्त यौन उत्पीड़न करने या अभियोक्ता को गर्भवती करने में असमर्थ था।’


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