आरक्षण नीति की समीक्षा के लिए जनगणना के आंकड़ों की जरूरत : नागालैंड सरकार
Mukesh Kumar

आरक्षण नीति की समीक्षा के लिए जनगणना के आंकड़ों की जरूरत : नागालैंड सरकार

नागालैंड सरकार ने जनसंख्या के सटीक और अद्यतन आंकड़ों के बिना नौकरियों में आरक्षण नीति की किसी भी तरह की समीक्षा करने में
Published on

कोहिमा : नागालैंड सरकार ने जनसंख्या के सटीक और अद्यतन आंकड़ों के बिना नौकरियों में आरक्षण नीति की किसी भी तरह की समीक्षा करने में असमर्थता व्यक्त की है और कहा है कि ऐसा कदम राष्ट्रीय जनगणना के आंकड़ों पर आधारित होना चाहिए।

नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था के पुनर्मूल्यांकन को लेकर जनजातीय संगठनों की मांगों के बारे में पूछे गए सवालों पर नागालैंड सरकार के प्रवक्ता और मंत्री के जी केन्ये ने कहा, ‘हम आंखें मूंदकर आगे नहीं बढ़ सकते। हमें एक आधार की आवश्यकता है और वह आधार है जनगणना।’ नागालैंड की पांच प्रमुख जनजातियों- अंगामी, एओ, लोथा, रेंगमा और सुमी के प्रतिनिधियों ने 27 अप्रैल को मुख्यमंत्री को एक पत्र सौंपा, जिसमें राज्य सरकार को 30 दिन में पिछड़ी जनजातियों के लिए नागालैंड की नौकरी आरक्षण नीति की समीक्षा करने के उनके सितंबर 2024 के अनुरोध पर तत्काल कार्रवाई की मांग की गयी थी।

हालांकि, बुधवार को राज्य सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत में के जी केन्ये ने कहा कि नागालैंड में जनगणना प्रक्रिया कानूनी विवादों में फंसी हुई है। उन्होंने कहा, ‘हमारी जनगणना प्रक्रिया को चुनौती दी गयी है। आदिवासी संगठनों ने हाई कोर्ट रुख किया है और अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।’ मंत्री केन्ये ने कहा कि इस बात पर असहमति है कि सन् 2001 या ,न् 2011 में से किस जनगणना वर्ष को वैध माना जाए। उन्होंने कहा, ‘ सन् 2021 भी गुजर गया, जो कि वर्तमान दशक के लिए संदर्भ होना चाहिए, लेकिन सन् 2011 की जनगणना को भी चुनौती दी गयी है।’ केन्ये ने जोर दिया कि इन विवादों के मद्देनजर ‘हमने नयी जनगणना के आंकड़े उपलब्ध होने तक इसे स्थगित रखने का फैसला किया है। तभी हम इन संवेदनशील मुद्दों का समाधान कर सकते हैं।’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जनगणना कराना केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है, न कि राज्यों के (अधिकार क्षेत्र में)।

logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in